Friday, 25 September 2020

आयुष मंत्रालय ने पोषण विज्ञान और उन्नति पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया

आयुष मंत्रालय के "प्रतिरक्षा के लिए आयुष" अभियान के तहत पोषण विज्ञान और उन्नति विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया, जिसका शीर्षक था –‘पोषण आहार’। विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, नैदानिक ​​पोषण विशेषज्ञ, सर्जन और योग व प्राकृतिक चिकित्सा के चिकित्सकों ने वेबिनार में भाग लिया। वेबिनार का आयोजन आयुष मंत्रालय के तहत स्वायत्त निकाय, केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन) द्वारा किया गया।

पहले सत्र की अध्यक्षता नॉर्थ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी, नॉर्थ डकोटा, यूएसए में पादप विज्ञान के प्रोफेसर कालिदास शेट्टी ने की। उन्होंने स्थानीय खाद्य पदार्थों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारे अस्तित्व में पारिस्थितिकी के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, हालांकि अनुकूलन संभव है। पारिस्थितिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए स्थानीय खाद्य पदार्थों को खाद्य श्रृंखला में वापस लाया जाना चाहिए जो अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने और आहार से जुड़ी पुरानी बीमारियों से निपटने के लिए आवश्यक है।

रीडिंग विश्वविद्यालय, यूके में न्यूट्रिजीनोमिक्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. विमल करणी ने आनुवांशिकी से लेकर आनुवांशिक भिन्नता और आनुवांशिक जोखिम से लेकर रोग जोखिम को शामिल करते हुए पोषण सिद्धांतों की एक विस्तृत श्रृंखला पर प्रकाश डाला। उन्होंने बीमारियों की रोकथाम के लिए व्यक्तिगत आहार के महत्व और जीवन शैली में बदलाव पर जोर दिया। केएस हेगड़े मेडिकल कॉलेज, निटटे के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रवीण जैकब ने हमारी जलवायु परिस्थितियों और हमारे भोजन की आदतों तथा रोगों की शुरुआत के बीच के संबंध पर प्रकाश डाला। एक अन्य महत्वपूर्ण सत्र, ‘पौष्टिक मूल्यों पर आधारित भोजन के स्वस्थ विकल्प’ विषय पर था, जिसे हेल्थ केयर ग्लोबल एंटरप्राइजेज लिमिटेड के क्लीनिकल न्यूट्रिशन विभाग के प्रमुख डॉ. एस्तेर सथिराज द्वारा संचालित किया गया।

एचसीजी ऑन्कोलॉजी हॉस्पिटल्स में ओसेफैगल एंड गैस्ट्रिक ऑनकोसर्जन व सलाहकार डॉ. प्रभु नेसारगिकर ने सर्जरी के बाद कैंसर के रोगियों में कुपोषण के बारे में कहा कि इसे स्वस्थ पोषण की खुराक के साथ ठीक किया जा सकता है। एक अन्य सत्र में राष्ट्रीय पोषण संस्थान के डॉ. महेश द्वारा विभिन्न पोषण कार्यक्रमों और विभिन्न सर्वेक्षणों के निष्कर्षों के बारे में जानकारी दी गयी। इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों समुदायों में पोषण की स्थिति और भारत के विभिन्न राज्यों में समुदायों के स्वास्थ्य के साथ-साथ समुदाय आधारित पोषण कार्यक्रमों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया। एक और दिलचस्प विषय, मोटे अनाज के पोषण-महत्व पर भी चर्चा हुई। इस सत्र की अध्यक्षता इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च के डॉ. दयाकर ने की और इसमें विभिन्न शोधों, प्रसंस्करण की प्रगति, विकास और खाद्य प्रसंस्करण के बारे में चर्चा हुई। उन्होंने मोटे अनाज के प्रसंस्करण के विभिन्न तरीकों को भी समझाया, जिन्हें बाद में उत्पाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने आहार में मोटे अनाज होने के नैदानिक ​​लाभों के बारे में भी जानकारी दी, जो ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड को कम करने में मदद करता है। कई शोध अध्ययनों के बाद यह बात सामने आयी है।

"सम्पूर्ण आहर" स्टार्टअप के प्रमुख डॉ. अचुतन ईश्वर ने पादप-आधारित पोषण और पौधे-आधारित आहारों की वकालत की, जिन्हें बेंगलुरु के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाएगा। डॉ. कौसल्या नाथन ने पोषण और प्रतिरक्षा के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि पोषण में खनिज और ट्रेस तत्व बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने एंटी-ऑक्सीडेंट के बारे में भी बात की जो खाद्य पदार्थों और सब्जियों में मौजूद होते हैं। एमएस रमैया मेडिकल टीचिंग कॉलेज, बेंगलुरु के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. चिदंबरम मूर्ति ने पोषण तत्वों में मौजूद न्यूट्रसीटीकल्स, कार्यात्मक खाद्य पदार्थों और बायोएक्टिव यौगिकों के बारे में बताया, जिन्हें दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

सौजन्य से: pib.gov.in

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