Friday, 26 September 2014

Text of Prime Minister Shri Narendra Modi’s address at the launch of "Make in India" global initiative

Courtesy: Photo Division
मंच पर विराजमान मंत्रिपरिषद के मेरे सभी साथी

भारत के उद्योग और व्‍यापार जगत से जुड़े हुए सभी वरिष्‍ठ महानुभाव

देश-विदेश में अनेक स्‍थानों पर ये कार्यक्रम simultaneously चल रहा है - वहां भी उपस्थित सभी उद्योग जगत के सभी महानुभाव

मैं सबसे पहले आपसे क्षमा मांगता हूं। मैं देख रहा हूं कि अनेक business leaders को आज इस सभागृह में बैठने के लिए जगह नहीं मिली है। बहुत बड़ी मात्रा में सबको खड़ा रहना पड़ रहा है। इस असुविधा के लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं। इस असुविधा का कारण यह भी है कि इस सभागृह को पहले कभी ऐसी आदत नहीं थी। 

मैं सारे Business Leaders को सुन रहा था। हमारी मंत्री महोदया ने भी पिछले कुछ समय में किस प्रकार से काम हुआउसकी चर्चा की। फिल्‍म के द्वारा भी महत्‍वपूर्ण initiative क्‍या-क्‍या लिए गए हैंये आपके सामने प्रस्‍तुत किया। इतना देखने के बादसुनने के बादमैं नहीं मानता हूं कि अब मुझे आपको कुछ अतिरिक्‍त भरोसा दिलाने की जरूरत है कि “Make in India!” 

क्‍या हुआ पिछले सालों मेंमैं जिससे भी मिलता थापिछले दो-तीन साल मेंहर कोई यही कहता था कि भईअब तो कहीं बाहर जाना है। बिजनेस यहां से शिफ्ट करना है। इंडस्‍ट्री यहां से शिफ्ट करनी है। मैं उसमें राजनीतिक कारण नहीं देखता थाऔर न ही मैं इन बातों को सुन कर के राजनीतिक फायदा लेने के लिए कोई प्‍लान बनाता था। यह जब मैं सुनता या तो मुझे पीड़ा होती थी। क्‍या हुआ है मेरे देश कोकि मेरे ही देश के लोग अपना देश छोड़कर के जाने के लिए मजबूर हो जा रहे हैं

आज जब मैं Make in India की बात लेकर के आया हूं तो हम नहीं चाहते कि मेरे देश का कोई उद्योगकोईव्‍यवसायीजिसेसे मजबूरन यहां से छोड़कर के बाहर जाना पड़े - वह स्थिति हमें बदलनी है। और मैं पिछले कुछ महीनों के अनुभव से यह कहता हूं कि हम ये बदल चुके हैं। व्‍यवसाय के क्षेत्र में जुटे हुए लोगों ने अपने आप पर से विश्‍वास खो दिया था। उनको लगता था कि हम दुनिया में टिक नहीं पाएंगे। अब हमारे पास यहां कोई चारा ही नहीं है। और जब व्‍यक्ति खुद पर विश्‍वास खो देता हैतब उसे खड़ा करना बड़ा मुश्किल होता जाता है। दूसरा उसका भरोसा टूट गया था – “पता नहीं यारसरकार कब क्‍या नीति बनाएगी। कब कौन सी नीति बदल देगी। पता नहींकबCBI आ धमकेगी।” ये जो मैंने आप लोगों से सुना था। कानून का राज होना ही चाहिए। जैसे Corporate Social Responsibility की चर्चा हैवैसे Corporate Government Responsibility का भी माहौल होना चाहिए। लेकिन, at the same time, शासन की भी जिम्‍मेदारियां होती हैं। सरकार का भी दायित्‍व होता है। 

अभी देवेश जी कह रहे थेनिमंत्रण देने से रूपये थोड़े ही आते हैं। मैं इससे सहमत हूं। सबसे बड़ी आवश्‍यकता होती हैभरोसाविश्‍वास। पता नहीं हमने देश को ऐसे चलाया हैकि हमने अपने ही देशवासियों की हर बात पर शक किया है। अविश्‍वास किया है। मुझे इस चक्र को बदलना है। हम अविश्‍वास से शुरू न करें। हम विश्‍वास से शुरू करें और कहीं कमी नजर आएं तो सरकार intervene करे। जब हमने निर्णय लियालोगों को लगता होगा कि यह कोई Grand Vision नहीं है। आजकल मैं यह सब बहुत सुन रहा हूंपढ़ रहा हूं। कोई बड़ी बात नहीं है। जब मेरी सरकार एक निर्णय करती है, self-certification की। आपको यह निर्णय बहुत छोटा लगता होगा। इसमें कोई विजन नजर नहीं आता है। लेकिन एक सरकार सवा सौ करोड़ देशवासियों की सत्‍यता पर विश्‍वास करने का निर्णय करेइससे बड़ा कोई निर्णय नहीं हो सकता है। आपने हर बार उसे शक से देखा। वह certificate देता है तो आप कहते हैंकिसीgazetted officer से सर्टिफाई करा कर ले आओ। और gazetted officer क्‍या कहता है – अगर urgency है तो इतनाऔर देर से आआगे तो इतना। और क्‍या गारंटी हैउस पर भरोसा करें आप। क्‍या हमहमारे देश के नागरिकों पर भरोसा नहीं कर सकते है क्‍या

आखिर सरकार किसके लिए हैसरकार देश के सामान्‍य मानवों के लिए होती है। हर नागरिक के लिए होती है। और ये बदलाव की शुरूआत जो हैवह यहां नहीं रूकती है। Income Tax Department तक भी जाती है। क्‍योंकि यहांbusiness community के लोग बैठे हैंइसलिए मैं Income Tax Department कह रहा हूं। 

कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि हमारी सरकार का एक मंत्र हैवो सबसे पहली हमारी प्रतिबद्धता है। हम हर देशवासी पर भरोसा करके चलना चाहते हैं। ये विश्‍वास का जो माहौल है वो व्‍यवस्‍थाओं को परिवर्तित करने की भी ताकत रखता हैं। संसद की चारदीवारी में ही बनाकर के कानून बदले जा सकते हैंऐसा नहीं हैसंसद की चारदीवारी के बाहर भी जन-जन के मन को जगाकर के परिवर्तन का प्रवाह लाया जा सकता है। 

इन दिनों FDI की बड़ी चर्चा होती है। और वह स्‍वाभाविक भी है। लेकिन मैं उसे जरा अलग नजरिए से देखता हूं। भारत के नागरिकों के लिए भी FDI एक जिम्‍मेदारी है। सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए FDI एक जिम्‍मेदारी है। और व्‍यापारउद्योग का विस्तार करने वालेविश्‍व के लिए FDI एक Opportunity है। जब मैं ये कहता हूं कि भारत के नागरिक के लिए जिम्‍मेदारी हैबाहर के लोगों के लिए अवसर हैतो मेरे FDI की परिभाषा ये है: भारतीयों के लिए है, FDI – “First Develop India”. और विश्‍व के व्‍यापार व्‍यवसाय को विस्‍तार करने वालों के लिए मैं कहता हूं भारत एक Opportunity है, Foreign Direct Divestment के लिए ये दो FDI की परिभाषा को लेकर केइस दो पटरी पर विकास की यात्रा को आगे बढ़ाना चाहते हैं। पूरे विश्‍व में इस बात की चर्चा है- लोगों के मुंह में पानी छूटता हैभारतएक बहुत बड़ा बाजार है। पहली नज़र में ये लगना बड़ा स्‍वाभाविक है। मैं कोई बड़ा अर्थशास्‍त्री नहीं हूंलेकिन जो देश या जो उद्योगपति या जो व्‍यापारी भारत को बहुत बड़ा बाजार मानता हैउसने कभी ये सोचा है कि उस बाजार में Purchasing Power है क्‍याउस नागरिक का Purchasing Power है क्‍याउसकी खरीद शक्ति बढ़ी है क्‍याअगर वो संख्‍या में ज्‍यादा होगा और Purchasing Power नहीं होगी और उसकी जेब में दम नहीं होगा तो दुनिया इतने बड़े अवसर को खो देगा। इसलिए विश्‍व के उद्योग-व्‍यापार जगत को मैं यह बात कहना चाहता हूं कि आप भारत को सिर्फ बाजार मत मानिए। आप भारत के हर नागरिक को उस Potential के रूप में देखिएजितनी तेजी से भारत काMiddle Class का Bulk बढ़ेगागरीबी से लोग जितनी तेजी से Middle Class की ओर जाएंगेउतना ही विश्‍व के लिए अनुकूल बाजार में वे Convert हो सकते हैं। 

गरीबी से मध्‍य वर्ग की ओर ये Bulk बढ़ाना हैतो क्‍या करना होगा। सीधी-सीधी बात है - रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करने पड़ेंगे। अगर गरीब को रोजगार का अवसर मिलेगा तो उस परिवार की Purchasing Power बढ़ेगीगरीब से गरीब की Purchasing Power बढ़ेगी। आज वो एक चीज़ लेनी है, 3 रूपये, 5 रूपये रूपये वाली मिलती हैतो वाली पसंद करता है। फिर वो Quality की तरफ जाएगा। अभी गुज़ारा करने के लिए रह रहा है। रोज़गार के अवसर जितनेज्‍यादा बढ़ेगेउतना ही Purchasing Power बढ़ने वाला हैहमारी Economy Generate होने वाली है। 

ये रोजगार के अवसर कैसे बढ़ेगें अगर आप बाहर से आ करके या यहां के लोग औद्योगिक विकास पर अगर ध्‍यान नहीं देंगे, Manufacturing Sector पर अगर ध्‍यान नहीं देगेंरोजगार के अवसर उपलब्‍ध नहीं कराएंगेतो ये पूरा चक्र कभी पूर्ण होने वाला नहीं है। इसलिए हम Make in India की जब बात करते हैंतब सिर्फ आपको एकCompetitive Situation के लिए ही हम Offer कर रहे हैंऐसा नहीं है। जब हम आपसे Make in India की बात करते हैं तब आपके उत्‍पादन के लिए एक बहुत बड़ा बाजार अपने आप खड़ा करने का हम अवसर देते हैं। आखिरकारManufacturer को cost effective manufacturing की जितनी आवश्‍यकता हैउतनी ही उसको Handsome Buyer की भी जरूरत होती हैतभी तो उसकी गाड़ी चलती है। यहां मारूति कार कितनी ही क्‍यों न बनेंलेकिन खरीदार नहीं होगा तोइसलिए हमें भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में जिस प्रकार का बदलाव लाना हैउस बदलाव में एक तरफManufacturing Growth को बढ़ाना है, at the same Time उसका सीधा Benefit हिन्‍दुस्‍तान के नौजवानों को मिलेउसे रोजगार मिले ताकि गरीब से गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति में बदलाव आएवो गरीबी से Middle Class की ओर बढ़े और उसका Purchasing Power बढ़े तो Manufacturer की संख्‍या बढ़ेगी, Manufacturing Growth बढ़ेगारोजगार के अवसर उपलब्‍ध हैफिर एक बार बाजार बढ़ेगा। यह एक ऐसा चक्र है। इस चक्र को आगे बढ़ाने की दिशा में यह महत्‍वपूर्ण काम आज हुआ है। ये शेर का कदम है। ये Lion का Step है - Make in India  

जब मैं Make in India की बात मैं करता हूं तब… आखिरकार मेरा मुख्‍यमंत्री के कार्यकाल का अनुभव है। व्‍यापारी या उद्योगपति कोई बहुत बड़ी Incentive Scheme से नहीं आते हैं। आप ये कह दो कि ये मिल जाएगावो मिल जाएगा,ये टैक्‍स फ्री करेंगेवो टैक्‍स फ्री करेंगे। Incentive से काम होता नहीं है। हमें Development और Growth Oriented Environment Create करना होता है। ये जिम्‍मा सरकार का है। शासन में बैठे हुए लोगों ने, Financial Institution ने इन सारी व्‍यवस्‍थाओं की तरफ ध्‍यान केंद्रित करना होता है और तब जा करके investor के लिए एक Security का अहसास बनता है। Investor पहले अपने investment की Security चाहता हैबाद में Growth चाहता है और फिर Profitचाहता है। वो पहले ही दिन Profit नहीं खोजता है। उसको Profit के लिए और 50 कंपनियां पड़ी हैं उसके पास। उसको ये चाहिए। सरकार का प्रयास हैहमने एक बाद एक जो कदम उठाए हैंहम विश्‍वास दिलाना चाहते हैं कि आपका रूपया डूब नहीं जाएगा। 

दूसरा उसको क्‍या चाहिए आज Ease of Business को लेकर दुनिया में Ranking होता है। मुझे अभी पिछले दिनोंWorld Bank के चेयरमैन मिले थेवो भी ये चिंता कर रहे थे। शायद उस समय 135 नंबर पे थे हम दुनिया में। Ease of Business में अब कौन रूकावट डालता है। अगर 135 से मुझे 50 पर आना है तो सिर्फ सरकार अकेली ये काम पूरा कर सकती है। सरकार अपने निर्णयों कोनियमों को खुलापन ला देसरलता से कामों को आगे बढ़ाएंतो हम आज135 से Ease of Business में नंबर 50 पर आकर खड़े हो सकते हैं। मैंने मेरी पूरी टीम को सेंसटाइज किया है और मैंने कहा है कि हम Scrutiny के नाम परऔर अधिक Perfection के नाम पर कहीं हम रूकावटें तो नहीं डाल रहे। मैं तीन महीने के अपने अनुभव से कहता हूं कि आज दिल्‍ली सरकार में बैठी हुई मेरी पूरी Team, पूरी मेरीBureaucracy सकारात्‍मक सोच के साथ मेरे से भी दो कदम आगे दौड़ रही हैं। 

यही ताकत है इसकी। क्‍योंउसको इस बात का भरोसा हैकि हां यह अवसर आया है। यह अवसर आया है। यहअवसर खोना नहीं है। सारी दुनिया एशिया की तरफ नजर कर रही है। पूरा विश्‍व ढूंढ रहा है। मुझे निमंत्रण देने के लिए समय बरबाद करने की आवश्‍यकता नहीं है। मुझे सिर्फ एड्रेस देने की कोशिश करनी है कि यह जगह है। वह आने के लिए तैयार है। पूरा विश्‍व आने के लिए तैयार है। लेकिन उसे पता नहीं है कि एशिया में जाएं तो कहां जाएं। और फिर वो सोचता हैजहां लोकतंत्र हैजहां Demographic Dividend हैजहां विपुल मात्रा में डिमांड है। ये तीनों एक साथ किसी भूभाग पर उपलब्‍ध हो तो पूरे ग्‍लोब पर अकेला हिंदुस्‍तान हैजहां ये तीनों एक साथ मौजूद है। जो इन तीनों को सकारात्‍मक रूप से उपयोग करता है। 

हम Democracy का, Demographic Dividend का और Demand काइनको सही तरीके से अगर तालमेल करते हैंतो मुझे विश्‍वास है कि दुनिया को भारत का पता बताने के लिए हमें नहीं निकलना पड़ेगा। हर गली मोहल्‍ले में Vasco de Gama पैदा होंगेजो हिंदुस्‍तान खोजते-खोजते यहां चले आएंगे। 

ये इस विश्‍वास के साथहम कैसे आदमी हैंऔर उसे क्‍या चाहिएउसे effective governance चाहिए। सरकार होने से काम होता नहीं है। सरकार होने का अहसास होना चाहिए। उस दरवाजे पर जाएं तो उसको लगना चाहिए कि मेरी इस समस्‍या का समाधान यहां हो सकता है। या यहां से मुझे रास्‍ता मिलेगा कि यहां से किस रास्‍ते से कहां पहुंचना है। Effective governance  मैं सिर्फ good governance की बात नहीं कर रहा हूंमैं effective governance की बात कर रहा हूं। और इन चीजों को पाने के लिए दो महत्‍वपूर्ण आधरों पर हम बल दे रहे हैं। 

आखिर कर उद्योग लगाना है तो skilled manpower चाहिए। और skilled manpower भी requirement के अनुरूप होना चाहिए। कहीं पर टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री की संभावना हैलेकिन हम वहां पर स्किल डेवलपमेंट इंजीनियरिंग इंडस्‍ट्री के लिए कर रहे हैंतो न इंजीनियरिंग इंडस्‍ट्री के स्किल वाला वहां नौकरी करने चला जाएगा और न स्किल वाले को रोजगार मिलेगा। हमें मैपिंग करना है। हम कर रहे हैंकि कौन से ऐसे क्‍लस्‍टर हैंकि वहां नेचुरल पोटेंशियल इस प्रकार का हैउस नेचुरल पोटेंशियल के अनुकूल ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट कैसे होवहीं पर इन्‍वायरमेंटर इश्‍यूज को कैसे हैंडल किया जाएऔर सस्‍टेनेबल ग्रोथ को लेकर के किन-किन बातों पर सरकार अपना फाउंडेशन तय करेउन-उन बातों पर आगे बढ़ना है। और अगर इस बात को हम कर रहे हैंतो मुझे पूरा विश्‍वास है कि जो effective governance की बात हम कर रहे हैंवह skill development के द्वारा भी काम आ सकता है। 

आज हमारे देश में सरकार की सोचउद्योग की सोच, academic world की सोच और job seeker नौजवानों की सोच - क्‍या इन चारों का कोई संबंध है क्‍याकोई मेल है क्‍या? I am sorry to say, नहीं है। हम tourism develop करना चाहते होंगेलेकिन उस गांव में guide तैयार करने की व्‍यवस्‍था हमारे पास नहीं होगी। Guide कहीं तमिलनाडु में तैयार होता होगा और ताजमहल आगरा में होगा। कहने का तात्‍पर्य ये हैकि चीजें छोटी-छोटी होती हैं। हम अगर इन focussed activities को करते हैं तो हम अपने आप स्थितियों को बदल सकते हैं। और इसलिए skill development भी। 

Academic world study करे कि आने वाले 20 साल में किस प्रकार के उद्योग की संभावना है। अगर पूरा विश्‍व eco-friendly environment, technology, global warming, इसी पर अगर केंद्रित हुआ है तो सीधी-सीधी बात है कि सोलर इनर्जी के लिए क्षेत्र खुल गया है। अगर solar engineering के लिए क्षेत्र हो जाएगा तो engineering college के studentsको solar engineering के equipment की manufacturing की training हो जाएगी। Solar Energy Equipment Manufacturing के लिए skilled labour चाहिए। skilled labour के लिए उसकी अभी से training शुरू हो जाए। Solarलगाने वाले उद्योगपतियों को पता चल जाए कि देखिए ये सारी व्‍यवस्‍थाएं हैंये हमारे बारमेड के पास बंजर भूमि पड़ी हुई है। आइए solar लगाइए और हिंदुस्‍तान को उजाला दीजिए। आप एक के बाद एकअगर network बनाकर काम करते हैंऔर ये काम सरकार का होता है। सरकार को facilitate करना होता है और सरकार जब “Facilitator”बनती है तो इच्छित परिणाम प्राप्‍त हो सकते हैं। इसलिए, Skill Development को कैसे बल दिया जाए, Skill Development में भी हम Public-Private Partnership के model को लेकर आगे बढ़ना चाहते है। 

हम उद्योगपतियों को भीअगर आपको लगता है कि आपके industry के लिए 400 प्रकार के नौजवान चाहिए। हम कहेंगे आप ये ITI ले लीजिए। आपको जिस प्रकार का manpower चाहिएयही locally आप उसको trained कीजिए। आपको बहुत अच्‍छा नौजवान मिल जाएगा। आपका कारोबार चलेगा। हमारी ITI चल जाएगी। हमारे नौजवानों को रोजगार मिल जाएगा। उसके परिवार की ताकत बढ़ेगी। उसकी खरीद शक्ति बढ़ेगी और economy अपने आपgenerate हो जाएगी। एक ऐसे चक्र को हमें चलाना है। और इसलिएमैं अशोक चक्र की बात लेकर के आया हूं। यह हमारी आर्थिक विकास यात्रा का कैसे पहिया बने। 

जब दुनिया औद्योगिक क्रांति के कालखंड में थीउसके पहले हम सोने की चिडि़या के रूप में माने जाते थे। लेकिन जब दुनिया औद्योगिक क्रांति की सीढि़या चढ़ रही थीतब हम पिछड़ गए। क्‍योंहम गुलाम थे। वह अवसर हमनेखो दिया। उसके बाद आर्थिक चेतना का एक नया युग नया अवसर आया। और यह सदनसीब है कि यह एशिया का है। अब हमारा जिम्‍मा बनता है कि इसे भारत का कैसे बनायें। एक ऐसा मौका आया हैऔर हमारे पास सबसे बड़ा सामर्थवान है कि 65% पोपुलेशन 35 वर्ष से नीचे है। 

मैं नहीं मानता हूंकल की घटना के बाद अब हमारे टैलेंट को कोई question करेगा। भारत के नौजवान के टैलेंट को कोई question नहीं कर सकता है। कल के मार्स की घटना के बाद। सब चीजें इंडिजेनियस। देखिएउसमें जो पुर्जे लगे थे नावह जिन फैक्‍ट्री में बने थेउस फैक्ट्रियों की फोटो निकालनी चाहिए। देखने में लगेछोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं,जहां एक-एक एक-एक पुर्जा बन करके पहुंचा है और उसमें से मार्स का मिशन सफल हुआ है। टैलेंट में कोई कमी नहीं है। विश्‍वास को मार्स सक्‍सेस। ये विश्‍व को भारत के पहचान का अवसर मिलना चाहिए। भारत विश्‍व को अनुभूति दे कि ये टैलेंट है। सिर्फ हमारे पास 65% Population 35 वर्ष से नीचे हैऐसे नहीं हैहमारे पास टैलेंटेड मैनपावर है। ये सामर्थवान मैनपावर है। उसको लेकर के हम चलना चाहता हैं। 

दूसरी बात है, Digital India. कारपोरेट वर्ल्‍डऔद्योगिक जगतप्राइवेट लाइफ जिस प्रकार से डिजिटल वर्ल्‍ड के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है। अगर सरकार और सरकारी व्‍यवस्‍थाएं पीछे रह गईंतो मैं कल्‍पना कर सकता हूं कितनी बड़ी खाई पैदा होगी। पूरी समाज रचना एक तरफऔर शासन रचना दूसरी तरफ। इस खाई को भरने के लिए Digital India का मिशन लिया है। पूरा गवर्नेंस मोबाइल गवर्नेंस की ओर क्‍यों न जाए। 

आपको हैरानी होगीमैंने आकर केफर्स्‍ट शायद 10 Days हुए होंगेएक काम मैंने क्‍या कियामैंने कहा कि आप मुझे बताइएसरकार में जो फार्म भरते हैं 10-10 पेज के क्‍यों होते हैं। आप भरते हैं ना। आप तो शायद नहीं भरते होंगे,आपके स्‍टाफ के लोग भरते होंगे। मैंने उनको पहले दिन कहा कि 10 पेज का एक पेज करो पहले। और मुझे खुशी है कि बहुत Department ने वो कर दिया। कोई कारण नहीं जी! ये सारी चीजें उपलब्‍ध होती हैंहम बार-बार मांगते रहते हैं। कहने का मेरा तात्‍पर्य यह है कि Digital India के माध्‍यम से - जैसे Ease of Business की बात है - वैसे Easy Governance. Effective Governance चाहिए, Easy Governance चाहिएउस पर बल लाना है। हर व्‍यक्ति को अपनी जानकारी अपनी हथेली में उपलब्‍ध होनी चाहिए और ये वो चीजें हैं जो हमें आगे बढ़ने के लिए अवसर देती हैं। उसे हम अवसर देना चाहते हैं। 

लंबे अरसे से Look East Policy की चर्चा कर रहे हैं। हर किसी के मुंह से Look East वाली बात आती है। एक अच्‍छा अवसर है। लेकिन At the Same Time जब मैं आज Make in India की बात करता हूं तब मैं Look East के साथ-साथLink West की भी बात करना चाहता हूं। एक तरफ Look East दूसरी तरफ Link West। हमने इन दोनों को जोड़कर एक ऐसी मध्‍यस्‍थ जगह पर खड़े हैं कि हम एक Global vision के साथ अपनी आर्थिक संरचना को नए Platform परखड़ा कर सकते हैं और उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं। विश्‍व के पास जो कुछ भी श्रेष्‍ठ हैवो हमारे पास क्‍यों नहीं होना चाहिए। ये मिजाज इस देश का क्‍यों नहीं होना चाहिए। व्‍यापार के नए क्षेत्र खुल रहे हैंमेरे शब्‍द लिख लीजिएआप तो उद्योग-व्‍यापार जगत के मित्र हैंमैं नहीं जानता हूं कि आपने इस दिशा में सोचा होगा या नहीं सोचा होगा। हो सकता है छोटीदो चार कंपनियां करती होंगी काम। 

आने वाले समय में हिन्‍दुस्‍तान में Waste में से Wealth के एक बहुत बड़े Business की संभावना है। Waste में सेWealth! हम 500 शहरों में Solid Waste Management और Waste Water Treatment का काम बढ़ाना चाहते हैं। Public Private Partnership से कराना चाहते हैं। उसी गांव के कूड़े कचरे से आप बिजली पैदा करके बिजली के कारखानेदार बन करके बिजली बेच सकते हैं। एक बहुत बड़ा ये Revenue Model  रहा है। हम सोचेंअभी से सोचें और मैंने देखा है जो दूर का सोचते हैं न .. Multi National कंपनियां आलू-टमाटर बेचने के लिए निकल पड़ी थीं। क्‍यों मुकेश भाई! क्‍योंकि उनको पता थाकितना बड़ा Market है। वैसे ही बड़ी-बड़ी कंपनियां इस ‘Waste में से Wealth’ के लिए आने के लिए पूरी संभावना है और भारत में हमने जो सफाई अभियान चलाया हैएक नया क्षेत्र खुल रहा है। मैं निमंत्रण दे रहा हूं उस प्रकार के उद्योग व्‍यापार के लोगों को। छोटी-छोटी नगरपालिकाएं बैठ करकेउसको भी एकRevenue Model बना करके आईए। हम आपको निमंत्रण देते हैं। 

अवसर बहुत हैं। जिस प्रकार से Manufacturing सैक्‍टर का महात्‍म्‍य हैं उसी प्रकार Infrastructure भी महत्‍वपूर्ण है। भारत अब उस Infrastructure से नहीं चल सकता हैजहां हमें पहुंचना है। ज्‍यादा ज्‍यादा हमारे देश में Infrastructureकी बात होती थी तो रेल, Road और Port , Airport … बात पूरी। Next generation Infrastructure की ओर हमें जाना है। हमें Highways भी चाहिएहमें i-ways भी चाहिए। When I say i-ways, I mean Information-ways and that is for the Digital India. हमें.. Electric grid है तो गैस की भी grid चाहिएहमें water grid भी चाहिए। हमें Optical Fibre का नेटवर्क भी चाहिए। हम एक ऐसे हिन्‍दुस्‍तान का सपना देख रहे हैंजिसमें Private Party को अपना नसीब आजमाने के लिए बहुत बड़ा अवसर है। 

Public Private Partnership के Model परहम आज जहां हैं वहां से अपने आप को Upgrade कैसे करें। जिन क्षेत्रों मेंहमने कदम नहीं रखा हैवहां कदम कैसे रखें। हमने Port Development तक अपने आप को केंद्रित किया। समय की मांग है हम Port led Development की ओर आगे बढ़ें। Port हो, Warehouses का नेटवर्क हो, Cold Storage का नेटवर्क हो, Roads होंरेल हो, Port के साथ Airport भी हो। ये जब तक हम पूरा एक Cluster के रूप में Develop नहीं करते हैं,हम Global Market की दुनिया में अपनी जगह नहीं बना सकते और इसलिए हम उस पर बल देना चाहते हैं। एक बहुत बड़ा क्षेत्र है जिसमें आप आ करके अपना नसीब आजमा सकते हैं। 

कहने का तात्‍पर्य यह है कि Infrastructure भी सिर्फ सुख-सुविधा का विषय नहीं है। अगर हमें Tourism Developकरना है - ऐसा अनुमान है कि दुनिया में सबसे ज्‍यादा Growth अगर किसी Industry का है तो वो Tourism Industryका है। क्‍या भारत इसको कैप्‍चर कर सकता हैतो टूरिज्‍म के लिए भी एक बहुत बड़े इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की आवश्‍यकता है।Hospitality industry के लिए बहुत बड़ा स्‍कोप है हमारे यहां। इतने सारे avenues हैं। उन avenues को कैसे लें। 

इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करता हूं। जो भी सोचते थेबस अब जाएंगे कहीं। मैं कहता हूंअब जाना नहीं है कहीं। यह देश आपका है। यहां इतना फलो-फूलोफिर बाहर कदम रखोतो उसका एक आनंद और है। मजबूरन जाना पड़े,इसका कोई आनंद नहीं हैं और मैं चाहता हूंहिंदुस्‍तान की कंपनियां भी मल्‍टी नेशनल बने। हिंदुस्‍तान की कंपनियों के भी दुनिया के अंदर अपने हाथ-पैर हों। यह हम चाहते हैं। लेकिन अपनी धरती को हम मजबूत बनाएं। यहां के नौजवानों को रोजगार देने के लिए हम कदम उठाएं। और ये एक ऐसी सरकार है जो विकास को समर्पित है। यह ऐसी सरकार हैजिसका ये political agenda नहीं है – article of faith है। और इसलिए मैं कहने आया था और मेरा विश्‍वास मैं बताता हूं जी। मैं जब गुजरात में था और मैं बड़े विश्‍वास से कहता थाकि वही मुलाजिमवही सरकार,वही दफ्तरवही फाइलेंवही लोगइसके बावजूद भी दुनिया बदली जा सकती है। 

मैं आज दिल्‍ली में आकर के कह सकता हूंवही आफिसवही अफसरवही फाइलेंवही गाडि़यांवही तौर-तरीकेउसके बावजूद भी उसमें जान भरी जा सकती हैहिंदुस्‍तान की दिशा बदली जा सकती है। हिंदुस्‍तान का भाग्‍य भी बदला जा सकता है। इस विश्‍वास के साथ मैं आगे बढ़ा। 

हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रूकावट ये बनी है - कुछ निर्णय केंद्र करता हैज्‍यादा से ज्‍यादा implementationराज्‍य में करना पड़ता है। और अगर दोनों के बीच मेल नहीं हैतो उद्योगपति को समझ में नहीं आता है, investorको समझ में नहीं आता है कि दिल्‍ली जाऊं कि राज्‍य सरकार के पास जाऊंवह उलझन में रहता है। अब ये उलझन नहीं रहेगी। मेरा ये मत है कि राज्‍यों का विकास भी भारत के लिए ही होता है। अगर राज्‍यों में investment आता है,तभी तो भारत में investment आने वाला है। राज्‍य और केंद्र मिल कर के एक टीम के रूप में काम करेंकंधे से कंधा मिलाकर के काम करेंकेंद्र के पास कोई proposal आए तो राज्‍य के पास केंद्र खुद चला जाएआइए भाई मिल करके हम क्‍या मदद कर सकते हैं। राज्‍य के पास कोई proposal आ जाएकेंद्र के मदद की जरूरत हो तो खुलेआम राज्‍य केंद्र के पास आ जाएं। दोनों मिलकर के रास्‍ता निकालें। चीजें आगे बढ़ने लगे। ये एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता पैदा हुई है। और इस आवश्‍यकता की पूर्ति के लिए केंद्र और राज्‍य को मिलना होगा। 

आप देखिएहम Current Account Deficit की चर्चा करते हैं, Export-Import Imbalance की चर्चा करते हैंलेकिन किसी राज्‍य को पूछो कि आपके यहां Export Promotion के लिए कोई activity है क्‍यानहीं है। उसको लगता है कि यह केंद्र का काम है। मैंने आते ही राज्‍यों को बुलाया। मैंने कहा कि देखिये, Export Promotion, क्‍योंकि manufacturerआपके यहां हैउसका आप हिम्‍मत बढ़ाइएउसको आप विश्‍वास दीजिए। वह Export करने के लिए आगे बढ़े। भारत सरकार के नीति नियम उसके काम आए। हम दोनों मिलकर के काम करेंगेतो export करने वाले जो उद्योगपति हैं,उनको बल मिलेगा। और अपनी चीजों को बाहर बेचेगा। 

आजआज External Affairs Ministry क्‍या उनके काम आती है क्‍यावो कहीं राज्‍य में बैठा होगाकिसी कोने में बैठा होगाकोई oil engine बनाता होगा। कौन पूछता है वहां। वह अपने मेहनत से करता होगा। अब राज्‍य हो या केंद्र, Export Promotion के लिए एक facilitator के नाते हम proactive aggressive role करने का जिम्‍मा उठाने के लिए तैयार हुए हैं। अब देखिएइससे कितना बड़ा फर्क होगा। तो हम जैसे कहते हैं Make in India, at the same time,आपको global market आगर capture करना है तो उसके लिए भी facilitator के रूप में आपके साथ खड़े रहने के लिए हम तैयार हैं। ऐसे अनेक क्षेत्र है। 

हमने Financial Institutions को बुलाया। देखिए कैसे बदलाव आता है। अभी हमने Inclusive Growth को ध्‍यान में रखते हुए हमने भारत के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को Bank Account से जोड़ने का अभियान उठाया। ये पहले नहीं हुए,ऐसा नहीं है जी। शुरू में तो लोग कहते थेयह हमारे समय शुरू हुआलेकिन अब नहीं कहते हैं। क्‍योंकि उनको पता चल गयाकि हमारे समय में शुरू हुआ थाकहने से पता चल जाएगा कि हम विफल हुए थे। ये पता चल जाता है। आप कल्‍पना कर सकते हैंइतने कम दिनों मेंयही बैंक के लोग चार करोड़ से अधिक लोगों के खाते खोलते हैं। औरमैंने ये कहा था कि भई जीरो बैलेंस से भी खाते खोल सकते हो। और मैं हैरान हूंलोगों ने 1500 करोड़ रुपये जमा कराये। 

जीरो बैलेंस के आफर होने के बावजूद सामान्‍य लोग 1500 करोड़ रुपये बैंक में डाल करके खाता खुलवाता हैये विश्‍वास है। यही तो विश्‍वास भी ताकत है। Banking Sector के लोग इतनी तेजी से move करे - ये सरकार कितनी तेजी से आगे बढ़ रही हैइसके लिए एक महत्‍वपूर्ण मानदंड बन सकता है। Financial Institutions भी growth औरdevelopment के साथ अपने आप को जोड़े। Grass-root level पर world spread, हर कोने में इस विकास की इस यात्रा को आगे बढ़ाएउस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। मेरा कहने का मतलब ये है कि आज Make in India, ये नारा नहीं है। ये Make in India, ये निमंत्रण नहीं है। Make in India, ये हम सबकी जिम्‍मेदारी है। 

हम सब जिम्‍मेदारी के साथ अगर आगे बढ़ेगेऔर हम भारत के लोग एक बार करेंगे तो दुनिया के लोग हमारे यहां आएंगे। वे खोजते हुए आएंगेआप विश्‍वास कीजिए। और इसलिए उन दोनों FDI पर हमें बल देना है। First Develop India, at the same time Foreign Direct Investment. उसको लेकर के आगे बढ़े। 

फिर एक बारआप सब समय निकाल कर के आएइसे बहुत बड़ी initiative को प्रारंभ करते समय आप हमारे साथ जुड़ेविदेश से भी बहुत बड़ी मात्रा में मेहमान आए। दुनिया के कई देशों में और हिंदुस्‍तान के सभी राज्‍यों में सभी व्‍यापारी संगठनों के द्वारा इस कार्यक्रम को live telecast किया जा रहा है। वहां भी लोग बैठे है। मैं आप सबको विश्‍वास दिलाता हूंआइएहम सब मिलकर के इस Make In India concept को जिनकी-जिनकी जिम्‍मेदारी हैउसको हम पूरा करें। हम आगे बढ़े, manufacturing sector में हम फिर एक बार नई ऊंचाईयों को पार करें और देश के गरीब से गरीब नौजवान को रोजगार उपलब्‍ध करायें। गरीब को रोजगार मिलेगाभारत के आर्थिक चक्र वो और गति सेचला पाएंगे। इसी एक विश्‍वास के साथ आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। नवरात्रि की आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 

मेरे व्‍यक्तिगत जीवन मेंमेरे राजनीतिक यात्रा के जीवन में भी आज का दिवस बड़ा महत्‍वपूर्ण है। आज 25 सितंबर,जिनके आदर्श और विचारों की प्रेरणा से लेकर के हम लोगों ने राजनीतिक यात्रा शुरू कीवो पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी की आज जन्‍म जयंती है। जिन्‍होंने एकात्‍म मानव दर्शन दुनिया को दिया है। ऐसे महापुरूषों के जन्‍मदिन परजो जिए देश के लिएवो जूझते रहे देश के लिएउनके चरणों में मेक इन इंडिया सपना समर्पित करने का अवसर मिल रहा है। उस सपने को साकार करने के लिए संकल्पित हैं। 

नवरात्रि शक्ति संचय का पर्व होता है। इस शक्ति संचय के पर्व पर भारत भी शक्ति संचय कर एक शक्तिशाली राष्‍ट्र बनेइस सपने को लेकर के आगे बढ़ेइसी एक प्रार्थना के साथ आपकी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। 

धन्‍यवाद।

Courtesy: pib.nic.in

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