Wednesday, 4 November 2020

मंत्रिमंडल ने भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), भारत और यूनाइटेड किंगडम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पादन विनियामक एजेंसी (यूके एमएचआरए) के बीच चिकित्सा उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है।

इस समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के अनुरूप चिकित्सा उत्पाद विनियमन संबंधी मामलों में सार्थक सहयोग और केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) भारत और यूनाइटेड किंगडम चिकित्सा एवं स्वास्थ्य देखभाल उत्पादन विनियामक एजेंसी (यूके एमएचआरए) के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में मदद मिलेगी। दोनों विनियामक प्राधिकरणों के बीच निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-

ए) फार्मा के क्षेत्र में सतर्कता (फार्माकोविजिलेंस) सुरक्षा संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान खासकर जहां दूसरे पक्ष को विशेष रूप से इसकी जरूरत है इसमें औषधियों एवं चिकित्सा उत्पादों से जुड़ी सुरक्षा चिंताएं शामिल हैं।

बी) भारत और यूनाइटेड किंगडम की ओर से आयोजित की जाने वाली वैज्ञानिक एवं प्रयोगात्मक बैठकें, सम्मेलन, सेमिनार आदि में सहभागिता।

सी) बेहतर प्रयोगात्मक विधियों (जीएलपी), बेहतर चिकित्सा संबंधी पद्धतियों (जीसीपी), बेहतर विनिर्माण विधियों (जीएमपी), बेहतर वितरण विधियों (जीडीपी) और बेहतर फार्मा निगरानी संबंधी विधियों (जीपीवीपी) के क्षेत्र में सहयोग और सूचनाओं का आदान-प्रदान।

डी) आपसी सहमति वाले क्षेत्रों में क्षमता निर्माण।

ई) प्रत्येक पक्ष के विनियामक ढांचे के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना, आवश्यकताओं एवं विधियों पर ध्यान देना और दोनों पक्षों के बीच भविष्य में विनियमन को मजबूती प्रदान करना।

एफ) औषधियों और चिकित्सा उपकरणों के संबंध में कानूनों और विनियमनों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान।

जी) गैर-लाइसेंसी आयात एवं निर्यात पर नियंत्रण को समर्थन देने के लिए जानकारी का आदान-प्रदान।

एच) अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहयोग करना।

इस समझौता ज्ञापन से दोनों पक्षों के बीच विनियामक संबंधी विषयों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी और यह चिकित्सा उत्पादों के विनियमन क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर समन्वय में मदद कर सकता है।

सौजन्य से: pib.gov.in

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