Friday, 20 November 2020

डॉ. हर्षवर्धन ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद को संबोधित किया

"निजी संस्थानों ने पोलियो उन्मूलन में एक बड़ी भूमिका निभायी है और सार्वजनिक स्वास्थ्य में उनकी मदद जरूरी है"

"कोविन पोर्टल और नेटवर्क है टीके की आखिरी जगह तक आपूर्ति सुनिश्चित करेगा”

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की राष्ट्रीय परिषद के साथ बातचीत की।

डॉ. हर्षवर्धन ने विश्व में सबसे बड़ी आबादी में से एक के कल्याण की खातिर महामारी पर लगातार बातचीत और विचार-विमर्श के लिए भारत सरकार को सक्षम बनाने और विविध मंचों को एक साथ लाने के लिए सीआईआई को बधाई देते हुए कहा, “भारतीय स्वास्थ्य उद्योग राजस्व और रोजगार के प्रावधान के मामले में भारत के सबसे बड़े क्षेत्र में से एक है और 2022 तक इसका बाजार तीन गुना बढ़कर 8.6 ट्रिलियन होने के अनुमान के साथ यह जरूरी है कि ऐसे कदम उठाए जाएं जो हितधारकों को उद्योग के भीतर जुड़ने की अनुमति दें। ऐसी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की जरूरत है, जो सुलभ और सस्ती हो, विशेषकर हमारे पूरे तंत्र पर कोविड के प्रभावों को देखते हुए यह अब पहले से कहीं ज्यादा, एक जरूरत बन जाती है।”

उन्होंने सस्ती स्वास्थ्य सेवा पूरी जनता तक पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए आयुष्मान भारत के तहत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) शुरू करने के सरकार के प्रयासों को सही दिशा में उठाया गया कदम बताते हुए कहा, “भारतीय स्वास्थ्य सेवा ग्रामीण-शहरी व्यवस्था के भीतर मौजूद असमानता के साथ विषम परिदृश्यों का एक वर्ण-पट पेश करती है। इस अंतर को कम करने की जरूरत है और श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार इसे पाटने के लिए कृतसंकल्प हैं। पीएमजेएवाई के साथ आयुष्मान भारत और एनसीडी और कैंसर की जांच के लिए एचडब्ल्यूसी नेटवर्क उस दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। इस संबंध में, उन्होंने यह भी कहा, '' पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) आगे की दिशा में उठाया गया कदम है क्योंकि इनसे दक्षता और नवाचार को बेहतर बनाने में मदद मिलती है, प्रभावशीलता में वृद्धि होती है, शहरी-ग्रामीण असमानता को कम करने में मदद मिलती है, सुगम्यता बढ़ती है और हमारे महंगे स्वास्थ्य व्यय को कम करने में मदद मिलती है।”

मंत्री ने न केवल कोविड से लड़ने में, बल्कि देश में गैर-कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से जुड़ी स्वास्थ्य मंत्रालय की शानदार उपलब्धियों पर बोलते हुए कहा, “हमें उस क्षमता को अधिकतम करने की जरूरत है जो प्रौद्योगिकी ने हमें प्रदान की है और सबके लिए स्वास्थ्य सेवा की दिशा में हमारी कोशिश को लेकर इसका लाभ उठाने की जरूरत है। टेलीमेडिसिन सामने आया है और इसने हमें अंतिम-मील में कनेक्टिविटी के लिए एक समाधान प्रदान किया है। आज ईसंजीवनी टेलीकन्सल्टेशन सेवा ने आठ लाख टेलीकन्सल्टेंशन पूरे कर लिए हैं।”

डॉ. हर्षवर्धन ने पोलियो के खिलाफ अभियान से जुड़े अपने अनुभव का उल्लेख करते हुए सभी को याद दिलाया कि सीआईआई, दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स, रोटरी क्लब जैसे निजी संगठन खर्च वहन करने के लिए आगे आए थे और इसे एक बड़ी सफलता दिलायी। उन्होंने आगे कहा, "हमें एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र के सही महत्व को समझने में संगठनों और उद्योगों की मदद करने की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। यह जैविक विकास पहलों और अन्य गैर-पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल मॉडल दोनों की करीबी निगरानी सुनिश्चित करते हुए किया जाना है।”

डॉ. हर्षवर्धन ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग के सबूत के रूप में कोविड के साथ भारत की लड़ाई का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “हमारा राष्ट्र अब व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक बन गया है। हम सीडीसी अटलांटा में कुछ साल पहले परीक्षण के लिए नमूने भेजते थे, जबकि अब हमारे पास देश की कुल परीक्षण क्षमता में योगदान देने वाली निजी परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं।” उन्होंने कोविड वारियर्स की भी सराहना की, विशेष रूप से उनकी माताओं की सराहना की जो अपने बच्चों को उनके कर्तव्य को पूरा करने से नहीं रोकतीं जबकि वे इससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों के बारे में जानती हैं।

डॉ. हर्षवर्धन ने लोगों को भरोसा दिलाया कि कोविड का टीका समय पर उपलब्ध होगा। इस संबंध में, उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने पहले ही मिशन इन्द्रधनुष के तहत 12 बीमारियों से बच्चों के टीकाकरण के लिए एक विस्तृत कोल्ड स्टोरेज श्रृंखला के साथ अपनी प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ा दिया था। उन्होंने कहा, “पूरे ईविन प्लेटफॉर्म को कोविननेटवर्क के रूप में पुनर्निर्मित किया जा रहा है। भंडार एक जगह से दूसरी जगह ले जाने को डिजिटल रूप से ट्रैक किया जा सकता है और टीके के दो शॉट देने की जरूरत पड़ी तो टीके प्राप्त करने वालों का दो से तीन सप्ताह के बाद भी पता लगाया जा सकता है। यह टीके की आखिरी जगह तक आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।”

सौजन्य से: pib.gov.in

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