Saturday, 29 August 2020

प्रधानमंत्री ने रानी लक्ष्‍मीबाई केन्‍द्रीय कृषि विश्‍वविद्यालय के कॉलेज और प्रशासनिक भवनों का वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि संस्‍थान छात्रों को नये अवसर प्रदान करेंगे, खेती को अनुसंधान और अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकी से जोड़ने में मदद करेंगे

प्रधानमंत्री ने लोगों से आत्‍मनिर्भर अभियान को सफल बनाने का आग्रह किया

बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए 10,000 करोड़ रूपये की लागत से 500 जल परियोजनाओं को मंजूरी; 3000 करोड़ रूपये की परियोजनाओं पर काम शुरू

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज उत्‍तर प्रदेश के झांसी जिले में रानी लक्ष्मीबाई केन्‍द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कॉलेज और प्रशासनिक भवनों का उद्घाटन किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने सभी को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि इस विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद छात्र देश के कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने में सक्रिय योगदान देंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नई इमारत के कारण प्रदान की गई नई सुविधाएं छात्रों को और अधिक मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करेंगी।

उन्‍होंने रानी लक्ष्मीबाई को उद्धृत करते हुए कहा, "मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी", प्रधानमंत्री ने झाँसी और बुंदेलखंड के लोगों से आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाएं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान देने के लिए कृषि की प्रमुख भूमिका है। उन्होंने कहा कि किसानों को उत्पादक और उद्यमी दोनों के रूप में कृषि लक्ष्य में आत्मनिर्भरता हासिल करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस भावना के अनुरूप, कई ऐतिहासिक कृषि सुधार किए गए। अन्य उद्योगों की तरह, अब किसान भी अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकते हैं, जहां कहीं भी उन्‍हें बेहतर मूल्य मिलता हो। उन्होंने कहा कि क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण में बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का एक विशेष समर्पित कोष स्थापित किया गया है

यह कहते हुए कि खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लगातार प्रयास जारी हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि 6 वर्ष पहले देश में सिर्फ एक केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय था जिसकी तुलना में अब तीन केन्‍द्रीय कृषि विश्वविद्यालय हैं। इसके अलावा, तीन और राष्ट्रीय संस्थानों जैसे आईएआरआई झारखंड, आईएआरआई असम और बिहार के मोतिहारी में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर इंटीग्रेटेड फार्मिंग की भी स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि ये संस्थान न केवल छात्रों को नए अवसर प्रदान करेंगे, बल्कि स्थानीय किसानों को प्रौद्योगिकी लाभ का प्रदान करने और उनकी क्षमता बढ़ाने में भी मदद करेंगे।

कृषि संबंधी चुनौतियों का सामना करने में आधुनिक तकनीक के इस्‍तेमाल के बारे में प्रधानमंत्री ने हाल के टिड्डी दल के हमले का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमलों को नियंत्रित करने और नुकसान को कम करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया। उन्होंने उल्लेख किया कि कई शहरों में दर्जनों नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए थे, किसानों को पहले से सचेत करने की व्यवस्था की गई थी, स्प्रे करने के लिए ड्रोन, टिड्डियों को मारने के लिए दर्जनों आधुनिक स्प्रे मशीनें खरीदकर किसानों को प्रदान की गई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह वर्षों में, सरकार ने अनुसंधान और खेती के बीच एक कड़ी स्थापित करने और किसानों को वैज्ञानिक सलाह देने के लिए गांवों में जमीनी स्तर पर प्रयास किया है। उन्होंने विश्‍वविद्यालय परिसर से खेतों तक ज्ञान और विशेषज्ञता के प्रवाह को कारगर बनाने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में विश्वविद्यालयों के सहयोग की मांग की।

कृषि संबंधी ज्ञान और स्कूल स्तर तक इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गांवों में माध्‍यमिक स्तर पर कृषि विषय शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके दो लाभ होंगे- एक, इससे छात्रों में कृषि संबंधी समझ विकसित होगी और दूसरा, इससे छात्र कृषि, आधुनिक कृषि तकनीकों और विपणन के बारे में अपने परिवार के सदस्यों को जानकारी देने में सक्षम हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे देश में कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा।

कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों के सामने उत्‍पन्‍न समस्याओं को कम करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में करोड़ों गरीब और ग्रामीण परिवारों को मुफ्त राशन प्रदान किया जा रहा है। बुंदेलखंड में लगभग 10 लाख गरीब महिलाओं को इस दौरान मुफ्त गैस सिलेंडर दिया गया है। गरीब कल्याण रोज़गार अभियान के तहत, उत्‍तर प्रदेश में अब तक 7 सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, जिसके तहत लाखों श्रमिकों को रोजगार प्रदान किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा, जैसा कि पहले वादा किया गया था, हर घर को पीने का पानी उपलब्ध कराने के अभियान को तेज गति से पूरा किया जा रहा है। इस क्षेत्र के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लगभग 500 जल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इसमें से पिछले दो महीनों में 3000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है। इसका सीधा फायदा बुंदेलखंड के लाखों परिवारों को होगा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में भूजल स्तर बढ़ाने के लिए अटल भूजल योजना पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि झांसी, महोबा, बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और ललितपुर के साथ-साथ पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के सैकड़ों गाँवों में जल स्तर बढ़ाने के लिए 700 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड के बेतवा, केन और यमुना नदी से घिरे होने के बावजूद पूरे क्षेत्र को नदियों का पूरा लाभ नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस स्थिति को बदलने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना में क्षेत्र की किस्मत बदलने की क्षमता है और कहा कि सरकार इस दिशा में राज्य सरकारों के साथ सहयोग और काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि एक बार बुंदेलखंड को पर्याप्त पानी मिल जाने पर यहां का जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, डिफेंस कॉरिडोर जैसी हजारों करोड़ रूपये की परियोजनाओं से यहां रोजगार के हजारों नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में चारों दिशाओं में 'जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान' का मंत्र गूंजेगा। प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड की प्राचीन पहचान को समृद्ध बनाने, और इस धरती के गौरव को हासिल करने की केन्‍द्र और उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

सौजन्य से: pib.gov.in

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