जल शक्ति मंत्रालय ने ‘भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली (भारत-डब्ल्यूआरआईएस)’ का एक नया वर्जन लॉन्च किया है जो नई कार्यक्षमता और विशेषताओं से लैस है। वेब पोर्टल www.indiawris.gov.in के जरिए आम जनता के लिए पूरी तरह से खुले एवं सुलभ इस पोर्टल में वर्षा, जल स्तर एवं नदियों के प्रवाह, जल स्थलों, भूजल स्तर, जलाशय में भंडारण, वाष्पन-उत्सर्जन और मिट्टी की नमी के लिए डैशबोर्ड के माध्यम से जल संसाधनों से संबंधित जानकारियां हैं। इसके साथ ही इसमें जल संसाधन परियोजनाओं, जल स्थलों, हाइड्रो-मेट डेटा की उपलब्धता पर मॉड्यूल और जीआईएस लेयर एडिटिंग के लिए उपकरण हैं।
जल दरअसल जीवन और विकास की कुंजी है। विशेषकर बढ़ती आबादी, शहरीकरण और संबंधित विकास के कारण उपलब्ध संसाधनों पर पड़ रहे अतिरिक्त दबाव को देखते हुए जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण है। किसी भी संसाधन के लिए बेहतरीन योजना बनाने के लिए एक मजबूत डेटाबेस और एक विश्वसनीय सूचना प्रणाली की आवश्यकता होती है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) ने राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना के तहत जुलाई, 2019 में भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली (भारत-डब्ल्यूआरआईएस) का पहला वर्जन लॉन्च किया। उस समय से लेकर अब तक इस प्रणाली में अनेक नई कार्यक्षमताएं और विशेषताएं या खूबियां जोड़ी गई हैं।
वर्तमान में भारत-डब्ल्यूआरआईएस को कई केंद्रीय और राज्य एजेंसियों जैसे कि सीडब्ल्यूसी, सीजीडब्ल्यूबी, आईएमडी, एनआरएससी, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात, इत्यादि से नियमित रूप से डेटा प्राप्त हो रहा है। अन्य एजेंसियों से प्राप्त डेटा को भी इस प्रणाली में एकीकृत किया जा रहा है, ताकि यह जल और भूमि संसाधनों से संबंधित किसी भी डेटा के लिए एक व्यापक प्लेटफॉर्म बन जाए। जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) ने भारत-डब्ल्यूआरआईएस को बनाए रखने और इसे अपडेट करने के लिए एक विशेष संगठन ‘राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र (एनडब्ल्यूआईसी)’ की स्थापना की है।
समस्त हाइड्रो-मेट अवलोकन डेटा का आधार जल सूचना प्रबंधन प्रणाली (डब्ल्यूआईएमएस) है। एक सुरक्षित लॉग-इन के माध्यम से केंद्रीय और राज्य जल एजेंसियां जल स्तर (सतही जल और भूजल दोनों), प्रवाह, जल की गुणवत्ता, तलछट और कई जलवायु मापदंडों के लिए डेटा को दर्ज, विश्लेषण, सत्यापन और प्रबंधन कर सकती हैं। इस प्रणाली में मैनुअल रीडिंग के माध्यम से प्राप्त टाइम सीरीज डेटा के साथ-साथ जीपीआरएस या उपग्रह के माध्यम से प्राप्त दूरमापी (टेलीमेट्री) डेटा भी शामिल हैं।
इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी हितधारक संबंधित जानकारियों की परिकल्पना यूजर (उपयोगकर्ता) अनुकूल तरीके से कर सकता है और इसके साथ ही सूचना को एक्सेल रिपोर्टों एवं ग्राफ के रूप में डाउनलोड भी कर सकता है। इस प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं में ये शामिल हैं: जल संबंधी जानकारियां आसानी से उपयोगकर्ताओं एवं आम जनता, निर्णयकर्ताओं, जल प्रबंधकों, किसानों और विशेषज्ञों के लिए उपलब्ध कराई जाती है; केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियों से प्राप्त हाइड्रो-मेट की जानकारियों तक सीधी पहुंच है, वास्तविक समय में डेटा एक क्लिक पर उपलब्ध है; विभिन्न आवश्यकताओं के लिए मॉड्यूल की विविधता है, नवीनतम तकनीक हैं, निरंतर विकास एवं सुधार सुनिश्चित किया जाता है।
विभिन्न उपयोगकर्ता समूह संबंधित जानकारियों का विविध उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसान और किसान कल्याण संघ वर्षा, स्टोरेज या जलाशयों में जल की उपलब्धता एवं भूजल जलभृतों के आधार पर फसलों एवं फसल के पैटर्न की योजना बना सकते हैं, और बदलते समय के साथ ये संघ डेटा का सही ढंग से उपयोग करने के लिए युवाओं को स्वयं से जोड़ भी सकते हैं क्योंकि इस वेबसाइट पर वास्तविक समय में डेटा उपलब्ध है। लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार, जैसे कि अपने इलाके में पानी की उपलब्धता, भूजल स्तर, निकटवर्ती नदी में जल के स्तर और इसी तरह के कई तथ्यों को जानने के लिए इस डेटा का उपयोग कर सकते हैं। योजनाकार एवं प्रशासक जल के समुचित उपयोग और बाढ़ एवं सूखे के प्रभावों को कम करने के लिए अपने-अपने राज्यों, विभिन्न बेसिन के इस डेटा का उपयोग कर सकते हैं। निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस) विकसित की जा सकती है। इसी तरह शोधकर्ता जल संबंधी अध्ययनों और प्रतिरूपण या प्रतिमान संबंधी उद्देश्यों के लिए डेटा का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इस तरह के अध्ययन के लिए आवश्यक डेटा आवृत्ति या बारंबारता उपलब्ध है।
सौजन्य से: pib.gov.in
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