भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 को पूरा करने के लिए एससीओ स्वास्थ्य मंत्रियों की मौजूदा संस्थागत बैठकों के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर एक उप-समूह स्थापित करने का प्रस्ताव रखा
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज निर्माण भवन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की डिजिटल बैठक में डिजिटल माध्यस से भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता रूस के स्वास्थ्य मंत्री श्री मिखाइल मुराशको ने की। इस बैठक में चर्चा का प्रमुख विषय दुनिया भर में जारी कोविड संकट था।
डॉ. हर्षवर्धन ने अपने संबोधन की शुरूआत में कोविड-19 की चपेट में आने की वजह से दुनिया भर में हुई मौतों पर अपनी संवेदना व्यक्त की। इस महामारी को काबू करने के लिए भारत की राजनीतिक प्रतिबद्धता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कैसे प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से हालात की निगरानी की है और जानलेवा कोविड वायरस को फैलने से रोकने के लिए एक काफी सक्रिय और क्रमिक प्रतिक्रिया सुनिश्चित की।
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड बीमारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि घातक वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक क्रमबद्ध तरीके से कार्रवाई शुरू की गई जिसमें यात्रा सलाह जारी करना, शहर या राज्यों में प्रवेश के स्थानों की निगरानी, समुदाय आधारित निगरानी, प्रयोगशाला तथा अस्पतालों की क्षमता बढ़ाना, कोविड प्रकोप तथा लोगों में इसके वायरस के संचार के जोखिम के विभिन्न पहलुओं के प्रबंधन पर तकनीकी दिशा-निर्देश का व्यापक स्तर पर जारी किया जाना आदि शामिल था। उन्होंने बताया कि लगातार लॉकडाउन के दौरान भारत को तकनीकी ज्ञान बढ़ाने,प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाने,अस्पतालों के बुनियादी ढांचे और इसके फार्मास्युटिकल और गैर-फार्मास्युटिकल इलाज की व्यवस्था के निर्माण के लिए आवश्यक समय और अवसर भी मिला।
डॉ. हर्षवर्धन ने लॉकडाउन के नतीजों के बारे में बात करते हुए कहा कि भारत में कोविड के अब तक 1.25 मिलियन मामले सामने आए और इसकी वजह से 30,000 से अधिक लोगों की मौत हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रति दस लाख पर 864 मामले सामने आने और प्रति दस लाख पर 21 से कम लोगों की मृत्यु होने के साथ भारत दुनिया का सबसे कम संक्रमण और मृत्यु दर वाला देश है। उन्होंने बताया कि देश में कोविड संक्रमण से ठीक होने की दर 63.45 प्रतिशत है,जबकि मृत्यु दर 2.3 प्रतिशत है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद परीक्षण क्षमता और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार पर बात की। उन्होंने लॉजिस्टिक्स पर भी बात की। उन्होंने बताया कि भारत में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) का एक भी निर्माता नहीं था और अब देश ने पिछले कुछ महीनों में अपनी स्वदेशी क्षमता इस कदर विकसित कर ली है कि वह गुणवत्तापूर्ण पीपीई निर्यात कर सकता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह की अन्य स्वदेशी क्षमता भी हासिल की गई है जिससे वेंटिलेटर और चिकित्सकीय ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने में सफलता मिली है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड प्रबंधन के लगभग हर पहलू में सूचना प्रौद्योगिकी के अभिनव उपयोग पर भी विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि सेलुलर आधारित ट्रैकिंग तकनीक का उपयोग बीमारी के संभावित समूहों की निगरानी और पहचान में उपयोग के लिए आरोग्य सेतु ऐप और आईटीआईएचएएस,परीक्षण के लिए आरटी-पीसीआर ऐप, अस्पताल में भर्ती रोगियों और अस्पताल के बिस्तर की संख्या के बारे में जानकारी के प्रबंधन के लिए सुविधा ऐप जैसी सभी तकनीकी साधनों को एक कोविड पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने जोर देते हुए यह भी बताया कि कैसे कोविड-19 के दौरान आम लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग पर चर्चा करने के लिए एससीओ के भीतर कोई संस्थागत तंत्र नहीं है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पारंपरिक चिकित्सा रणनीति 2014-2023 को पूरा करने की क्षमता रखता हो। उन्होंने 2018 में किंगदाओ शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षरित महामारियों से निपटने में सहयोग पर संयुक्त वक्तव्य के प्रभावी कार्यान्वयन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह इस तरह की पूरक चिकित्सा प्रणालियों के बावजूद एससीओ के सभी सदस्य देशों में व्यापक रूप से प्रचलन में है। इसलिए उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के स्वास्थ्य मंत्रियों की मौजूदा संस्थागत बैठकों के तहत पारंपरिक चिकित्सा पर एक नए उप समूह की स्थापना का प्रस्ताव रखा।
डॉ. हर्षवर्धन ने एससीओ के सभी सदस्य देशों से संकट की इस घड़ी में जाग उठने और स्वास्थ्य तथा अर्थव्यवस्था पर कोविड के प्रभाव को कम करने का आह्वान किया। उन्होंने महामारी से निपटने में लगे सभी फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों को बधाई देते हुए अपना संबोधन खत्म किया और कहा कि वे "मानवता के लिए भगवान से कम नहीं" हैं।
सौजन्य से: pib.gov.in
No comments:
Post a Comment