Saturday, 25 July 2020

"ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में जोखिम आधारित आंतरिक लेखा-परीक्षा का सुदृढ़ीकरण" पर वीडियो सम्मेलन आयोजित किया गया

केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्रामीण विकास के लिए वित्तीय प्रबंधन सूचकांक जारी किया

श्री तोमर ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ग्राम पंचायतों को प्रदान की जा रही निधियों का प्रभावी उपयोग ग्रामीण स्तर के विकास कार्यों पर किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में उच्च स्तरीय पारदर्शिता सुनिश्चित करना है

केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 24 जुलाई, 2020 को "ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में जोखिम आधारित आंतरिक लेखा परीक्षा का सुदृढ़ीकरण" पर एक वीडियो सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, ग्रामीण विकास सचिव श्री एनएन सिन्हा और ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसमें 10 राज्यों, असम बिहार, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के ग्रामीण विकास में अतिरिक्त मुख्य सचिव/ प्रधान सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों नें हिस्सा लिया।

अपने उद्घाटन भाषण में, मंत्री ने कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय को राज्यों के साथ मिलकर, निकट सहयोग के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास के कार्यक्रमों को डिजाइन करने और उसका संचालन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंत्रालय अपने कार्यक्रमों के माध्यम से, भारत की ग्रामीण आबादी का सतत और समावेशी विकास करना चाहता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए, इसने वेतन और स्वरोजगार के माध्यम से आजीविका के अवसरों को बढ़ाने, ग्रामीण आवास उपलब्ध कराने, सड़क अवसंरचना और सामाजिक सुरक्षा कवच प्रदान करने आदि के लिए एक बहुआयामी रणनीति विकसित की है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट अनुमानों में, लगभग 1,20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई स्थिति को देखते हुए इस वित्तीय वर्ष के दौरान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए दी गई इस राशि के अलावा 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भी प्रावधान किया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और ग्रामीण लोगों के कल्याण पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा। मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान अब तक राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि जारी की है।



इस अवसर पर, एक नई पहल के रूप में, श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने "ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए वित्तीय प्रबंधन सूचकांक" जारी किया, निम्नलिखित मानकों के आधार पर राज्यों के प्रदर्शन को रैंकिंग प्रदान करने के लिए:
वार्षिक योजना तैयार करना, वित्तीय वर्ष के लिए आवश्यक धनराशि का अनुमान लगाना, खर्च के लिए राज्य के हिस्से को शीघ्र जारी करना, धनराशि का समय पर उपयोग करना और उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा करना आदि।
सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण का इष्टतम कार्यान्वयन;
आंतरिक लेखा-परीक्षा; और
सामाजिक लेखा-परीक्षा



श्री तोमर ने कहा कि सूचकांक के मापदंडों के आधार पर राज्यों द्वारा प्रदर्शन करने से राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने राज्यों को सलाह दी कि वे इस धनराशि का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करें जिससे राज्य सरकारों द्वारा लागू किए जा रहे सभी कार्यक्रमों का कुशल कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि शामिल हैं।



अपने संबोधन में मंत्री ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के माध्यम से ग्राम पंचायतों को बड़ी मात्रा में प्रदान की जा रही धनराशि का उपयोग ग्रामीण स्तर पर विकास कार्यों के लिए प्रभावी रूप से किया जाए। आंतरिक लेखा-परीक्षा प्रक्रिया से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इन ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत दी जाने वाली निधियों के क्रियान्वयन और वित्तीय प्रबंधन में अगर कोई भी अनियमितता हो तो उसे तत्काल खोज कर बाहर निकाला जाए और तुरंत उपचारात्मक कार्रवाई शुरू की जाए। संबोधन को समाप्त करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का उद्देश्य इन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में उच्च स्तरीय पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

सौजन्य से: pib.gov.in

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