Saturday, 25 July 2020

सरकारी ई-बाजार जीईएम के साथ रेलवे डिजिटल आपूर्ति श्रृंखला के एकीकरण से अपनी वस्तुओं और सेवाओं की खरीद सुनिश्चित करेगी भारतीय रेल, हर साल 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वस्तु एवं सेवाओं की खरीद करती है भारतीय रेल

श्री पीयूष गोयल ने रेलवे की खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की, भारतीय रेल में सामग्री प्रबंधन की विस्तृत प्रदर्शन समीक्षा की गई

आत्म निर्भर भारत मिशन के लिए तैयार है भारतीय रेल

भारतीय रेल की ई-खरीद प्रणाली आईआरईपीएस का जीईएम के साथ होगा एकीकरण

अधिकारियों को उद्योग के साथ संवाद करने, आत्म निर्भर भारत की दिशा में प्रगति के लिए अपनी क्षमताओं और संभावनाओं के विस्तार और विनिर्माण सहित भारतीय आर्थिक संसाधनों की भागीदारी में बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के निर्देश

खरीद में स्थानीय सामग्री के नियम की आवश्यकता, जिससे स्थानीय वेंडर्स आपूर्तिकर्ताओं से ज्यादा निविदाएं हासिल हो सकें


रेल और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेल के साथ ही भारत सरकार की खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा की।

बैठक के दौरान, श्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेल से भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी खरीद का वातावरण विकसित करके उद्योग में भरोसा पैदा करने से लिए जरूरी कदम उठाने का अनुरोध किया।

खरीद प्रक्रिया में मेक इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन देने से जुड़े कदमों की समीक्षा करते हुए खरीद की प्रक्रिया में स्थानीय वेंडर्स की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया। यह भी फैसला लिया गया कि खरीद में स्थानीय सामग्री का नियम ऐसा होना चाहिए कि हमें स्थानीय वेंडर्स/ आपूर्तिकर्ताओं से ज्यादा निविदाएं हासिल हो सकें। इससे भी आत्म निर्भर भारत मिशन को बढ़ावा मिलेगा। इस दिशा में भारतीय रेल के प्रयासों को सुनिश्चित करने के लिए डीपीआईआईटी के सक्रिय सहयोग की मांग की गई, जिससे आवश्यकता पड़ने पर उपयुक्त नीतिगत बदलाव किए जा सकें।

यह महसूस किया गया कि ऐसे वेंडर्स को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है, जो अधिकांश स्थानीय स्तर पर विनिर्मित सामग्री की आपूर्ति कर सकें। एक एफएक्यू भाग और एक हेल्पलाइन बनाने का भी सुझाव दिया गया, जिससे वेंडर्स को खरीद प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर स्पष्टता रहे।

इस अवसर पर सदस्य (सामग्री प्रबंधन), रेलवे द्वारा मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन और जीईएम के माध्यम से खरीद के लिए उठाए जा रहे कदमों पर एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया।

समीक्षा बैठक में रेल राज्य मंत्री श्री सुरेश सी अंगडी, रेलवे बोर्ड के सदस्य, सीईओ/जीईएम और डीपीआईआईटी, वाणिज्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

भारतीय सेवा प्रदाताओं और कलपुर्जा विनिर्माताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए रणनीतियां बनाने की आवश्यकता महसूस की गई। सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) दुनिया भर में सरकारी खरीद से जुड़ा बेहद नवीन विचार है। श्री गोयल ने बाजार को उद्योग के लिए विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों और एमएसएमई के लिए खोलकर जीईएम प्लेटफॉर्म से रेलवे की लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवाओं को खरीदने पर जोर दिया।

भारत सरकार की सबसे बड़ी खरीद एजेंसियों में से एक भारतीय रेलवे जीईएम की पूरी क्षमताओं के उपयोग के लिए अपनी खरीद प्रणालियों को जीईएम के साथ एकीकृत कर रही है। विभाग ने भारतीय रेलवे की ई-खरीद प्रणाली को जीईएम के साथ एकीकृत करने के लिए समयसीमा साझा की। रेलवे ने किसी भी प्रकार के मैनुअल इंटरफेस (संपर्क) की जरूरत को खत्म करने के लिए दो प्रणालियों के निरंतर एकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। रेलवे की खरीद को पूरी तरह से जीईएम पर ले जाने के लिए दोनों प्रणालियों रेलवेज आईआरईपीएस और जीईएम के बीच तालमेल कायम किया जाना चाहिए।

जीईएम के एकीकरण के बाद भारत सरकार का सभी एजेंसियों के लिए एकल बिंदु सार्वजनिक खरीद पोर्टल की दिशा में आगे बढ़ने का इरादा है।

बैठक के दौरान भारत में भ्रष्टाचार मुक्त सार्वजनिक खरीद का वातावरण तैयार करने के तरीकों पर चर्चा की गई, जिसमें रेल मंत्रालय, डीपीआईआईटी और जीईएम को अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। विचार विमर्श के दौरान भारतीय रेल के विकास के सफर में ज्यादा से ज्यादा स्वदेसी वेंडर्स की भागीदारी के लिए उद्योग को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

प्रस्तुतीकरण के दौरान यह फैसला लिया गया कि रेलवे अपनी सभी गतिविधियों के लिए उपयोग के अनुकूल सिंगल स्टेप वेब आधारित इंटरफेस विकसित करने की दिशा में काम करेगी। वेबसाइट पारदर्शी होनी चाहिए, साथ ही हर इच्छुक वेंडर को भारतीय रेल के काम के तरीके से अवगत कराना चाहिए। वेबसाइट में भारतीय रेल के भ्रष्टाचार मुक्त होने और पारदर्शी माहौल होने का भरोसा दिलाने वाली सभी उपयुक्त जानकारियां होनी चाहिए।

सौजन्य से: pib.gov.in

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