Tuesday, 30 June 2020

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्पात के उपयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा के लिए एक वेबिनार की अध्यक्षता की

निरंतरता के साथ समावेशी विकास करने के लिए इस्पात के उचित उपयोग को बढ़ावा देने हेतु ‘इस्पातीइरादा’ का आह्वान

इस्पात के उपयोग में बढ़ोतरी की नियमित निगरानी के लिए एक कार्यदल की स्थापना की घोषणा

केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज "इस्पातीइरादा: निर्माण और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों पर ध्यान देते हुए इस्पात के उपयोग को बढ़ाना" विषय पर वेबिनार की अध्यक्षता की। इस वेबिनार में इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, इस्पात सचिव, इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, विषय विशेषज्ञ, उद्योग के अग्रणी लोग, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, बड़ी संख्या में उपयोगकर्ताओं और नियामकों ने भी भाग लिया।

इस अवसर पर इस्पात मंत्री श्री प्रधान ने कहा कि इस्पात उद्योग किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास में मौलिक भूमिका निभाता है। उन्होंने बताया कि भारत दुनिया में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है और यह गुणवत्ता युक्त उत्पादों का निर्माण कर सकता है लेकिन देश में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत का लगभग एक तिहाई है और इसे बढ़ाने के लिए भारत में काफी संभावनाएं हैं।

केंद्रीय इस्पात और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ‘इस्पातीइरादा’ के बारे में बात करते हुए कहा कि इस्पात महज एक सामग्री नहीं है, बल्कि यह मन की एक स्थिति है। भारत में एक समावेशी विकसित राष्ट्र होने का ‘इस्पातीइरादा’ है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक नारा नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, गरीबों की स्थिति को सुधारने, पर्यावरण में सुधार और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प का प्रकटीकरण है। उन्होंने आगे कहा कि सहयोगी ब्रांडिंग अभियान 'इस्पातीइरादा' का उद्देश्य देश में इस्पात के उपयुक्त उपयोग को बढ़ावा देना और उपयोग में आसान, पर्यावरण के अनुकूल, किफायती, सस्ती और मजबूत सामग्री के रूप में इस्पात के उपयोग का लाभ उठाना है।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि हमें इस्पात की खपत में वृद्धि के अवसरों और चुनौतियों की पहचान करनी होगी। उन्होंने कहा कि इस्पात मंत्रालय पहले से ही इस्पात के अधिक उपयोग को लेकर बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित मंत्रालयों के साथ बातचीत कर चुका है। उन्होंने बताया कि उनका मंत्रालय इस बारे में विभिन्न विभागों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने निर्माण में अधिक इस्पात के इस्तेमाल के माध्यम से "मेक इन स्टील" का आह्वान किया। भारत रेलवे, सड़क, नागरिक उड्डयन, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भविष्य के लिए बुनियादी ढाँचा बनाने पर ज्यादा जोर दे रहा है जिससे देश में इस्पात की खपत को और गति मिलेगी। उन्होंने बताया कि जल्द ही एक कार्यदल का गठन किया जाएगा जो इस्पात के उपयोग को बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की नियमित रूप से निगरानी करेगा। उन्होंने वेबिनार प्रतिभागियों को कुछ ठोस सुझावों के साथ आगे आने के लिए कहा जिसे तर्क संगत पाए जाने पर लागू भी किया जाएगा।

वेबिनार को संबोधित करते हुए इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि देश में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत को बढ़ाने की व्यापक संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत राष्ट्रीय औसत का लगभग एक-चौथाई है। उन्होंने कहा कि इस्पात की खपत में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों को गति प्रदान करेगी, पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करेगी और रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने 103 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन की घोषणा की है और इससे इस्पात की मांग बढ़ेगी। इस्पात मंत्रालय इस्पात का उपयोग बढ़ाने के लिए अन्य विभागों के साथ पहले से ही बातचीत कर रहा है। श्री कुलस्ते ने भूकंपग्रस्त जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि वह संरचनाओं के निर्माण में 80% तक इस्पात का उपयोग करता है जिससे उन्हें मजबूती और स्थायित्व मिलती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्पात उद्योग को निर्माण की लागत को कम करने के तरीके खोजने होंगे।

सौजन्य से: pib.gov.in

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