परिणामस्वरूप प्रथम वर्ष के लिए ऐतिहासिक 2.90 रुपये/किलोवाट ऑवर शुल्क
भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र आज एक ऐतिहासिक दिन का गवाह बना, क्योंकि चौबीसों घंटे (राउंड द क्लॉक-आरटीसी) आपूर्ति के साथ 400 मेगावाट आरई परियोजनाओं के लिए की गई ई-रिवर्स नीलामी हैरतंगेज 2.90 रुपये/ किलोवाट ऑवर शुल्क के साथ संपन्न हुई। यह नीलामी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (सीपीएसयू) सोलर एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) ने संचालित की। नीलामी में कड़ी स्पर्धा के बाद 400 मेगावाट क्षमता की निविदा मैसर्ज रिन्यू सोलर पॉवर प्राइवेट लिमिटेड को प्रदान की गई है, जिसमें लगभग 3 घंटों में सबसे कम शुल्क में 69 पैसे की कमी देखी गई।
इस प्रयास के लिए एसईसीआई की सराहना करते हुए केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आर के सिंह ने कल शाम एक ट्वीट में कहा, “एसईसीआई द्वारा चौबीसों घंटे (राउंड द क्लॉक- आरटीसी) आपूर्ति के साथ 400 मेगावाट आरई परियोजनाओं के लिए संचालित की गई ई-रिवर्स नीलामी की परिणति प्रथम वर्ष के ऐतिहासिक 2.90 रुपये/ किलोवाट ऑवर शुल्क में होने से भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 100 प्रतिशत आरई विद्युत के माध्यम से पुख्ता, सारिणी अनुसार और किफायती दाम पर आरटीसी आपूर्ति की दिशा में नई शुरुआत की है।”
400 मेगावाट क्षमता के लिए जारी निविदा में प्रबल भागीदारी देखने को मिली, जिसमें 4 बोलीकर्ताओं ने 950 मेगावाट की कुल क्षमता के लिए बोलियां प्रस्तुत कीं। ई-रिवर्स नीलामी के लिए 4 बोलीकर्ताओं में से 3 अर्थात – मैसर्ज रिन्यू सोलर पॉवर प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्ज ग्रीनको एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड और एचईएस इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड का अंतत: चयन किया गया। मैसर्ज अयाना रिन्यूएबल पावर प्राइवेट लिमिटेड चौथी बोलीकर्ता था। इस परियोजना से एनडीएमसी तथा दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली में से प्रत्येक इकाई को 200 मेगावाट क्षमता बेचने का लक्ष्य रखा गया है। परियोजनाओं के लिए कोई सीलिंग टैरिफ नहीं था, और डेवलपर्स अखिल भारतीय के आधार पर परियोजना स्थापित करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस निविदा के तहत परियोजनाएं निर्माण-स्वामित्व- परिचालन (यानी बिल्ड-ओन-ऑपरेट) मॉडल के तहत स्थापित की जाएंगी।
यह शुल्क ऐतिहासिक इसलिए है, क्योंकि यह निविदा 100 प्रतिशत आरई आधारित ऊर्जा उत्पादन स्रोतों जैसे पवन और सौर पीवी के माध्यम से भंडारण सहित चौबीसों घंटे आपूर्ति का प्रावधान करती है। डेवलपर को पीपीए की प्रभावी तिथि से अधिकतम 24 महीने की समयावधि प्रदान की जाएगी। प्रथम वर्ष के शुल्क को वार्षिक आधार पर 3 प्रतिशत की दर से पीपीए की 25 वर्ष की अवधि में से 15 वर्ष तक बढ़ाया जाएगा। नतीजतन, उक्त परियोजना के लिए प्रभावी शुल्क 3.59 रुपये किलोवाट ऑवर है। उत्पादन के पारंपरिक स्रोतों में देखे गए शुल्कों की तुलना में यह शुल्क 100 प्रतिशत आरई आपूर्ति के माध्यम से बिजली वितरण कम्पनियों के लिए उनकी ऊर्जा की मांग को पूरा करने की दिशा में बेहतर प्रस्ताव प्रस्तुत करता है।
बोली की शर्तों के अनुसार, डेवलपर वार्षिक न्यूनतम सीयूएफ (क्षमता उपयोग कारक-सीयूएफ) आवश्यकता का 80 प्रतिशत और मासिक सीयूएफ आवश्यकता का 70 प्रतिशत पूरा करने के लिए अधिदेशित है। पीपीए के संदर्भ में उपरोक्त आवश्यकताओं को प्राप्त करने में विफल रहने पर बाद के वर्ष (वर्षों) में शुल्क में वृद्धि नहीं होगी, जब तक कि किसी वर्ष विशेष में उपरोक्त आवश्यकताओं को प्राप्त नहीं कर लिया जाता। इसलिए उपरोक्त आवश्यकताओं के संदर्भ में यह निविदा पुख्ता, सारिणी के अनुसार भरोसेमंद आरई बिजली आपूर्ति मॉडल को साकार करने के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और एसईसीआई के प्रयासों की दिशा में एक प्रमुख उपलब्धि है, जो निश्चित रूप से, ज्यादा व्यवहार्य शुल्क पर पारंपरिक परियोजना का स्थान ले सकता है।
सौजन्य से: pib.gov.in
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