कोशकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) और जीनोमिक एवं समेकित जीवविज्ञान संस्थान (आईजीआईबी) के बाद वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक और प्रयोगशाला में नये कोरोना वायरस के संपूर्ण जीनोम अनुक्रमणका कार्य शुरू किया जा रहा है। चंडीगढ़ स्थित सीएसआईआर-सूक्ष्मजीव प्रौद्योगिकी संस्थान (इम्टेक) ने भी कोविड-19 की चुनौती से निपटने के लिए महत्वपूर्ण पहल करते नये कोरोना वायरस का संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण शुरू कर दिया है।
इम्टेक के निदेशक डॉ संजीव खोसला ने कहा है कि “इस अनुक्रमण से प्राप्त जीनोमिक संसाधन कोविड-19 के लिए जरूरी निदान और दवाओं के लक्ष्यों की पहचान करने में कारगर हो सकते हैं। जीनोम अनुक्रमण के नमूनों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त संग्रह में जमा किया जाएगा।” दूसरे सूक्ष्मजीवों की तुलना में वायरस के रूपांतरित होने की दर अधिक होती है, और उनकी आनुवंशिक सामग्री तेजी से बदलती रहती है, क्योंकि वायरस संख्या तेजी से बढ़ती रहती है। संपूर्ण जीनोम अनुक्रम की जानकारी होने से शोधकर्ता वायरस की उत्पत्ति, भारत में मौजूद उसके रूपों और हमारे देश में इसके फैलने बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण किसी जीव के जीनोम के पूर्ण डीएनए अनुक्रम को निर्धारित करने के लिए उपयोग की जाने वाली विधि है। सीएसआईआर-इम्टेक को सूक्ष्मजीव और जीनोमिक अनुसंधान में विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। यह संस्थान नैदानिक नमूनों से पृथक किए गए एसएआरएस-सीओवी-2 आरएनए जीनोम का अनुक्रमण करेगा। वर्ष 1984 में स्थापित सीएसआईआर-इम्टेक सूक्ष्मजीव विज्ञान में एक प्रमुख राष्ट्रीय स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र है।
डॉ खोसला ने कहा, “हमने नमूनों का नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया है, और अब वायरल उपभेदों को अनुक्रमित करने के लिए इस मिशन को शुरू करते हुए हम इस वायरस की प्रकृति को समझने के लिए बेहतर रूप से सुसज्जित होंगे, जिसके कारण कोविड-19 वैश्विक महामारी फैल रही है।” यह संस्थान भारत में एसएआरएस-सीओवी-2 के उपभेदों में रासायनिक बदलावों का अध्ययन करने के लिए वास्तविक समय में पोर्टेबल और प्रत्यक्ष जीनोम अनुक्रमण में अपने अनुभव का उपयोग करेगा।
सौजन्य से: pib.gov.in
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