Wednesday, 15 April 2020

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई

दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन वर्षा के लिए प्रथम चरण लंबी दूरी का पूर्वानुमान जारी किया

मानसून के 1 जून को केरल में तिरुवनंतपुरम पहुंचने की उम्मीद है

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस वर्ष मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद की घोषणा की।आईएमडी ने मानसून के लिए अपने प्रथम चरण लंबी दूरी पूर्वानुमान (एलआरएफ) में कहा, “दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) सीजन की वर्षा कुल मिला कर पूरे देश के लिए सामान्य (96-104 प्रतिशत) रहने का अनुमान है।”

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. राजीवन ने 2020 के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन वर्षा के लिए आईएमडी के प्रथम चरण लंबी दूरी का पूर्वानुमान जारी किया। इस अवसर पर, आईएमडी के महानिदेशक डा एम. मोहापात्रा भी उपस्थित थे।

आईएमडी ने ‘भारत भर में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आरंभ/प्रगति एवं वापसी की नई सामान्य तिथियां’भी जारी कीं।

डॉ. राजीवन ने कहा कि मात्रा के लिहाज से दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) सीजन की वर्षा के 5 प्रतिशत की मामूली त्रृटि के साथ लंबी अवधि औसत (एलपीए) का 100 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। 1961-2020 की अवधि के लिए कुल मिला कर पूरे देश में सीजन की वर्षा का एलपीए 88 सीएम है।

उन्होंने कहा कि, “अच्छी बात यह है कि ऐसा अनुमान है कि वर्षा की कमी 9 प्रतिशत होगी। यह पूर्वानुमान सांख्यिकी माडल पर आधारित है, यह संकेत देता है कि देश में एक सामान्य मानसून रहेगा।”

उन्होंने कहा कि आईएमडी द्वितीय चरण पूर्वानुमान के एक हिस्से के रूप में मई के अंतिम सप्ताह/जून 2020 के प्रथम सप्ताह में अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।

डॉ. राजीवन ने बताया कि, ‘न्यूट्रल एल नीनो साउदर्न आस्लिेशन (ईएनएसओे) स्थितियां प्रशांत महासागर और न्यूट्रल इंडियन ओसन डिपोल (आईओडी) स्थितियां हिन्द महासागर के ऊपर व्याप्त हो रही हैं। कुछ जलवायु मोडल पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि इन स्थितियों के आगामी मानसून सीजन के दौरान बनी रहने की उम्मीद है।’उन्होंने कहा कि, ‘चूंकि प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर के ऊपर समुद्री सतह तापमान (एसएसटी) भारतीय मानसून पर मजबूत प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, आईएमडी सर्तकतापूर्वक प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर के ऊपर समुद्री सतह स्थितियों के उद्भव की निगरानी कर रहा है।’

डॉ. राजीवन ने बताया कि ला नीनो या पूर्व-मध्य प्रशांत महासागर में सामान्य से ठंडी समुद्री सतह पारंपरिक रूप से बेहतर मानसून वर्षा और भारत में ठंडी हवाओं से जुड़ी है जबकि एल नीनो देश में सामान्य से नीचे वर्षा के साथ जुड़ा है। दक्षिण-पश्चिम मानसून जो देश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को पूरा करता है, सामान्य रूप से जून के प्रथम सप्ताह में पहले केरल के दक्षिणी सिरे तक पहुंचता है और सितंबर तक राजस्थान से वापस पीछे हट जाता है।

मॉनसून के 1 जून को केरल के तिरुवनंतपुरम तक पहुंचने की उम्मीद है। मॉनसून विद्यमान सामान्य तिथियों की तुलना में महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार जैसे राज्यों एवं उत्तर प्रदेश के हिस्सों में 3-7 दिन की देरी से पहुंचेगा।

तथापि, सुदूर उत्तर पश्चिम भारत में, मानसून अब थोड़ा पहले15 जुलाई की वर्तमान तारीख की तुलना में 8 जुलाईको आता है।

मानसून के 15 अक्तूबर को दक्षिण भारत से वापस हो जाने की उम्मीद है।

सौजन्य से: pib.gov.in

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