सभी ऑपरेटरों को आजमाने के लिए 5जी स्पेक्ट्रम दिया जाएगा
हमें यूपीआई भुगतान इंटरफेस को एक वैश्विक प्रकाश स्तंभ बनाने की आवश्यकता
दिल्ली में खोये हुए मोबाइलों का पता लगाने के लिए केन्द्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर की शुरुआत की
केन्द्रीय संचार, विधि और न्याय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा है कि मोबाइल सुरक्षा हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि मोबाइल हैंडसेट हर प्रकार के ऑनलाइन कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है। श्री प्रसाद दिल्ली के ग्राहकों के लिए ‘केन्द्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर)’ नाम के एक वेब पोर्टल की शुरुआत करने के बाद आज नई दिल्ली में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल, दूरसंचार सचिव और डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष श्री अंशु प्रकाश, दिल्ली पुलिस आयुक्त श्री अमूल्य पाठक, डिजिटल संचार आयोग के सदस्य (टेक्नोलॉजी) श्री एस.के. गुप्ता भी मौजूद थे।
श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने देश के सभी ऑपरेटरों को आजमाने के लिए 5जी स्पेक्ट्रम देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि इसे देश भर में पूरी तरह शुरू करने में कुछ वर्ष लग सकते हैं। यूपीआई भुगतान इंटरफेस देश में हर प्रकार के ऑनलाइन धन लेन-देन का एक प्रमुख तरीका बन चुका है और भारतीय रुपये को और अधिक मजबूत बनाने के लिए हमें इसे वैश्विक प्रकाश स्तंभ बनाने की आवश्यकता है।
संचार मंत्री ने कहा कि यह संचार का युग है और संचार शक्ति है, और यह प्रौद्योगिकी का युग है और प्रौद्योगिकी शक्ति है। उन्होंने कहा कि हम विकास के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकतम इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अपराधी भी समान स्मार्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। अत: हमें अपने हितों की रक्षा करने वाली प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि आधार डिजिटल पहचान है, जिससे हमारी पहचान की पुष्टि होती है और डिजिटल इंडिया डिजिटल समावेशन के लिए है। डिजिटल इंडिया सामान्य भारतीय को टेक्नोलॉजी की ताकत से सशक्त बना रही है, जिससे डिजिटल समावेशन हो रहा है। उन्होंने कहा कि उद्योग को अधिक नवाचारी होना चाहिए और भारतीय उद्योगों को आईटी में नये अविष्कार अपनाने चाहिए।
दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल ने कहा कि दिल्ली में मोबाइल चोरी के मामले बढ़ रहे हैं और इनकी संख्या प्रति वर्ष 40,000 तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए एक तंत्र होना चाहिए। उन्होंने संचार मंत्री से आग्रह किया कि वे बेहतर कामकाज के लिए जोनल समन्वित पुलिस नेटवर्क (जिपनेट) को सीईआईआर से जोड़ने के बारे में विचार करे।
दूरसंचार सचिव और डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष श्री अंशु प्रकाश ने कहा कि देश में फोनों की संख्या 100 की आबादी के पीछे 242 मोबाइल हो गई है और मोबाइल हैंडसेट रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का जरिया बन चुका है। इसलिए मोबाइल को एक प्रणाली के साथ सुरक्षित करना समय की मांग है। अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (आईएमईआई) मोबाइल फोन की एक अनेखी पहचान है। ½ सिम कार्ड के साथ एक फोन ½ आईएमईआई नंबर के साथ प्रोग्राम किया हुआ होता है। आईएमईआई प्रोग्राम किया हुआ होने के कारण कुछ अपराधी आईएमईआई संख्या को दोबारा प्रोग्राम कर लेते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उसी आईएमईआई संख्या के साथ अनेक उपकरणों की आईएमईआई की क्लोनिंग हो जाती है। आज की तारीख में नेटवर्क में क्लोन/डुप्लीकेट आईएमईआई हैंडसेट के अनेक मामले हैं।
यदि ऐसे आईएमईआई को ब्लॉक कर दिया जाए, तो समान आईएमईआई के साथ हैंडसेट होने के कारण बड़ी संख्या में मोबाइल फोन ब्लॉक हो जाएंगे, जिससे अनेक ग्राहकों को असुविधा होगी। अत: नेटवर्क से डुप्लीकेट/फर्जी आईएमईआई मोबाइल फोनों को हटाने की आवश्यकता है। तदानुसार केन्द्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (सीईआईआर) प्रणाली नाम की इस परियोजना को दूरसंचार विभाग ने मोबाइल हैंडसेट की दोबारा प्रोग्रामिंक सहित सुरक्षा, चोरी और अन्य चिंताओं को दूर करने के लिए हाथ में लिया है।
दिल्ली में परियोजना की शुरुआत से यह आसान होगा:
- चोरी अथवा खोये हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक कराने का ग्राहकों का अनुरोध।
- मोबाइल नेटवर्क पर ऐसे मोबाइल फोनों को ब्लॉक कराना।
- समान आईएमईआई नंबर के साथ मोबाइल फोन वाले अन्य वर्तमान ग्राहकों के लिए सेवाओं की अनुमति।
- मोबाइल का पता लग जाने की तारीख को पुलिस अधिकारियों के साथ साझा करना।
- चोरी अथवा खोये हुए मोबाइल फोनों के बरामद होने पर उन्हें खोलना।
सौजन्य : pib.gov.in
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