मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार!
पिछली मन की बात में , मैंने आप लोगों से एक प्रार्थना की थी कि छुट्टियों में अगर आप कहीं जाते हैं, और वहां का कोई अगर यादगार चित्र है तो Incredible India hashtag पर आप post कीजिये। जब मैंने कहा था, तो मैंने सोचा नहीं था, कि ऐसा ज़बरदस्त परिणाम मिलेगा। लाखों लोगों ने फोटो पोस्ट किये, ट्विटर पे, फ़ेसबुक पे, इन्स्टाग्राम में। मैं कह सकता हूँ कि, एक से बढ़कर एक दृश्य देखने को मिले, भारत कितनी विविधताओं से भरा हुआ है। स्थापत्य हो, कला हो, प्रकृति हो, झरने हों, पहाड़ हों, नदी हो, समुद्र हो। शायद भारत सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि tourism की दृष्टि से, लोग इतना बड़ा काम कर सकते हैं, जो आप लोगों ने किया है। और कुछ तो मुझे भी इतना भा गए कि मैंने भी उसको re-tweet कर दिया। और मैं समझता हूँ, शायद जिन लोगों ने आंध्रप्रदेश के बेलम की caves का फ़ोटो post नहीं किया होता, तो देश के कई लोगों को शायद पता नहीं होता कि ऐसी कोई चीज़ हमारे देश में है। मध्यप्रदेश में ओरछा की फ़ोटो हो, हम राजस्थान को तो हमेशा पानी के संकट वाला प्रदेश मानते हैं, लेकिन वहां से जब कोई मैनाल के waterfall का फ़ोटो भेजता है, तो बड़ा ही आश्चर्य होता है। यानि सचमुच में एक अद्भुत काम हुआ है। इसको हम आगे बढ़ाएंगे, जारी रखेंगे। दुनिया देखेगी, हमारे देशवासी देखेंगे, हमारी नई पीढ़ी देखेगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने मुझे प्रधानमंत्री तो बना दिया है लेकिन मेरे भीतर का इंसान कभी-कभार, बाक़ी सब पद-प्रतिष्ठाओं से हट करके अपने आप में खो जाता है। 21 जून, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस। मैं कह सकता हूँ कि मेरे मन को उसी प्रकार से आंदोलित कर गया, जिस समय UN में मैंने ये विषय रखा था। तब ऐसा ही लग रहा था जैसे चलो भाई एक बात हो जाए। लेकिन 21 जून का जो दृश्य देखा, जहाँ-जहाँ सूरज गया, जहाँ-जहाँ सूरज की किरणें गयीं, दुनिया का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां योग के द्वारा सूर्य का स्वागत न हुआ हो। हम दावे से कह सकते हैं कि योग अभ्यासुओं की दुनिया में सूरज कभी ढलता नहीं है।
योग को दुनिया ने जिस प्रकार से, पलक-पावड़े बिछा करके सम्मानित किया, सारे विश्व ने जिस प्रकार से अपने कंधे पर उठाया, कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसको गर्व नहीं होगा। मैं भी आनंदविभोर हो गया। मन पुलकित हो गया। और जब फ़्रांस के लोग, जिनके लिए सीन नदी और Eiffel Tower बहुत ही गौरवपूर्ण प्रतीक है, उन्होंने योग करने के लिए उस स्थान को पसंद किया, बराबरी का स्थान दे दिया। न्यूयॉर्क में लोगों ने Times Square पर योग किये। ऑस्ट्रेलिया, सिडनी की बात हो तो Opera House का चित्र हमारे सामने आता है। ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों ने Opera House के बराबर में योग को रख कर के वहीं पर योग किया। चाहे नॉर्थ अमेरिका हो, सिलिकन वैली हो, Milan का Duomo Cathedral हो, ये अपने आप में गर्व करने की बात है। और जब 21 जून को मैंने UN के Secretary-General श्रीमान बान की मून को UN Headquarters पर योग करते देखा, कितना आनंद आया मुझे। उसी प्रकार से UN Peace-Keeping Force ने भी योग का बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया। भारत में भी सियाचिन पर, सफ़ेद बर्फ़ की चादर पर हमारे जवान योग कर रहे थे, तो समुंदर में नौसेना के द्वारा, चारों तरफ़, जहां भी हमारे नौसेना के जहाज़ थे, योग के कार्यक्रम हुए। दिल्ली ने तो गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना स्थान दर्ज करवा दिया। राजपथ योगपथ बन गया। मैं देश और दुनिया का ह्रदय से आभारी हूँ, और मैं कह सकता हूँ ये कोई कार्यक्रम की ख़ातिर कार्यक्रम नहीं था। ऐसा लग रहा था कि विश्व के हर कोने से एक नई जिज्ञासा, एक नया आनंद, एक नयी उमंग, एक नया जुड़ाव।
कुछ दिन पहले मैंने जब ट्विटर पे, वियतनाम से एक परिवार ने छोटे बच्चे का योग करता हुआ फ़ोटो ट्वीट किया था, इतना प्यारा था वो फ़ोटो, दुनिया भर में वो इतना प्रचलित हुआ। हर कोई, स्त्री-पुरुष बूढ़े-बच्चे, गाँव-शहर हो, developed countries हो या developing countries हो, हर कोई जुड़ गया। योग सच्चे अर्थ में दुनिया को जोड़ने का एक कारण बन गया। मैं नहीं जानता हूँ, Intellectual class , Elite world इस घटना का कैसा analysis करेगा। लेकिन एक बात मैं महसूस कर रहा हूँ, और हर भारतवासी गर्व अनुभव कर सकता है कि विश्व भारत को जानने के लिए बहुत उत्सुक है। भारत के प्रति एक जिज्ञासा बढ़ी है। यहाँ की values, यहाँ की परम्पराएं, यहाँ की विरासत, दुनिया जानना चाहती है। हम सबका दायित्व है कि बिना लागलपेट के हमारी ये जो विरासत है, विश्व को हमें बांटना चाहिए, विश्व को परिचित कराना चाहिए। लेकिन ये परिचय हम तब करा पायेंगे जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो।
कभी-कभार हम इतने परिचित होते हैं कि अपनी चीज़ें, इसमें क्या नया है, ऐसा लगता है... जैसे हमारी family values, हमें पता नहीं है दुनिया के लिए भारत की family values बहुत बड़ी बात है। क्यों न हम विश्व को हमारी परिवार-प्रथा, family values इससे परिचित करवायें। विश्व को अचम्भा होगा। मैं ज़रूर कहता हूँ अचम्भा होगा। ऐसी बहुत कुछ चीज़ें हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी हैं और जो श्रेष्ठ हैं, उस पर जगत का अधिकार है। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की सफलता आनंद और संतोष के साथ एक नई ज़िम्मेवारी ले के आयी है। ये हमारा दायित्व बनता है कि विश्व को उत्तम योग शिक्षक हम दें। ये हमारा दायित्व बनता है कि योग की सभी परम्पराओं को एक platform पर से जगत से देख पायें।
मैं देश के नौजवानों को विशेष करके IT Professionals को आग्रह करता हूँ, आप सब नौजवान मिल-जुल करके Online Yoga activity की कुछ योजना बनाइये। योग से संबंधित संस्थाओं का परिचय हो, योग गुरुओं की जानकारी हो, योग के संबंध में जानकारी हो। योग सीखना हो तो कहाँ सीख सकते हैं, योग टीचर चाहिये तो कहाँ से मिलेगा, एक database तैयार करना चाहिये और मैं मानता हूँ, आप कर सकते हैं। चलो, कहीं से तो कोई शुरू करें, ये भी एक नई शक्ति बन जायेगा। मैं पिछले कुछ दिनों की घटनाओं को और नज़रिये से भी देखता हूँ। काम करती सरकार, दौड़ती सरकार... एक बार लक्ष्य तय हो तो कैसे परिणाम ला सकती है, ये पिछले दिनों हमने देखा है। और जब चारों तरफ निराशा थी, ये हम न भूलें, एक साल पहले चारों तरफ़ से एक ही स्वर सुनाई देता था, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता।
आप कल्पना कर सकते हैं सरकार में आयुष एक डिपार्टमेंट है, कभी किसी का उस तरफ ध्यान नहीं जाता। 2-5 साल में एकाध बार कहीं छोटी-मोटी ख़बर अख़बार में आ जाये तो आ जाये इतना... एक कोने में, छोटा सा डिपार्टमेंट, लेकिन योग दिवस को उसने लीड किया। और दुनिया में छोटे से डिपार्टमेंट ने इतना बड़ा काम आयोजित करके दिखाया। अगर लक्ष्य सामने हो तो छोटी-सी-छोटी इकाई भी कितना उत्तम काम करती है, इसका नमूना है।
पिछले दिनों दुनिया ने देखा कि हमारे लोगों ने यमन में से आफ़तग्रस्त लोगों को कैसे बचाया। घंटों के अंदर भारत के लोग नेपाल पहुँच करके मदद के लिए कैसे दौड़ पड़े, काम करने वाली सरकार जब बैंक में जनधन अकाउंट खोलने थे, सारे बैंक के लोग मैदान में उतर आये और कुछ ही समय में करोड़ों-करोड़ों देशवासियों को बैंक के साथ जोड़ दिया।
गत 15 अगस्त को मैंने लाल किले पर से स्कूलों में शौचालय के लिए अपील की थी। और मैंने कहा था अगले 15 अगस्त तक हमने इस काम को पूरा करना है। जो काम 60 साल में नहीं हो पाया वो एक साल में करने का आह्वान करना बड़ा साहस तो था, क़रीब साढ़े चार लाख टॉयलेट बनाने थे, लेकिन आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूँ अभी तो 15 अगस्त आने की देरी है, लेकिन पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन क़रीब-क़रीब स्कूलों में टॉयलेट बनाने के काम को लोगों ने पूरा किया।
मतलब सरकार, लोग, सरकारी मुलाज़िम, सब कोई देश के लिए काम करना चाहते हैं। निस्वार्थ भाव से सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय, अगर हम संकल्प ले करके चलते हैं, तो सरकार भी दौड़ती है, सरकार के लोग भी दौड़ते हैं और जनता-जनार्दन पलक-पावड़े बिछा करके उनका स्वागत भी करती है।
ये मैंने अनुभव किया है और यही तो है जो देश को आगे बढ़ाने की सच्ची ताक़त है। पिछले महीने हमने तीन जन सुरक्षा की योजनाओं को लॉन्च लिया था, मैंने कलकत्ता से किया था। इतने कम समय में बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिला है। भारत में जन सुरक्षा की दृष्टि से बहुत कम काम हुआ है लेकिन इन तीन योजनाओं के कारण एक बहुत बड़ा जम्प हम लगा रहें हैं। इतने कम समय में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इन जन सुरक्षाओं की योजनाओं में कहीं न कहीं जुड़ गयें हैं लेकिन हमें इसको और आगे बढ़ाना हैं। मेरे मन में एक विचार आता है। ये विचार मैं आपके सामने रखता हूँ। अगस्त महीने में रक्षाबंधन त्योहार आता है। क्या हम सभी देशवासी रक्षाबंधन के त्योहार के पहले एक ज़बरदस्त जन आन्दोलन खड़ा करें और हमारे देश की माताओं-बहनों को ये जो जन सुरक्षा योजना हैं उसका लाभ दें। हमारे घर में खाना पकाने वाली कोई बहन हो या बर्तन साफ़ करने वाली बहन हो या हमारे खेत में मज़दूरी करने वाली कोई बहन हो या हमारे परिवार में अपनी बहने हों। क्या रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार को ध्यान में रखते हुए हम 12 रूपए वाली या 330 रूपए वाली जन सुरक्षा योजनायें जीवन भर के लिए अपनी बहनों को गिफ्ट दे सकते हैं। रक्षाबंधन की भाई की तरफ़ से बहन को एक बहुत बड़ी गिफ्ट हो सकती हैं। क्यों न हम रक्षाबंधन के पर्व को एक लक्ष्य मान कर के 2 करोड़, 5 करोड़, 7 करोड़, 10 करोड़... देखे तो सही, कितनी बहनों तक हम ये लाभ पहुँचा सकते है। आइए मेरे साथ मिल करके इस संकल्प को पूरा करने के लिए हम सब प्रयास करें। मैं
जब मन की बात करता हूँ तो कई सारे लोग मुझे सुझाव भी भेजते हैं। इस बार मानसून के लिए मुझे कुछ कहना चाहिए ऐसा सुझाव बहुत लोगों ने भेजे है। नागपुर के योगेश दांडेकर, मैसूर के हर्षवर्धन जी, प्रवीण नाडकर्णी जी, दिव्यांशु गुप्ता जी, उन्होनें कहा कि मानसून के लिए ज़रूर आप मन की बात में कुछ बाते बताइये। अच्छे सुझाव उन्होंने भेजे हैं। और वैसे भी ये मौसम मन को बड़ा प्रसन्न करने वाला मौसम होता है। और पहली बारिश तो हर कोई को, किसी भी उम्र में क्यों न हो, वर्षा का मज़ा लेने का मन करता है। आप भी हो सकता है बारिश में गर्म पकोड़ों का, भजीये का, कॉर्न का, साथ साथ चाय का मज़ा लेते होंगे। लेकिन साथ-साथ जिस प्रकार से सूरज की किरणें जीवन देती हैं, वैसे ही वर्षा हमारे जीवन को ताक़त देती है। बूँद बूँद पानी का बहुत मूल्य होता है। हमें एक नागरिक के नाते, समाज के नाते, बूँद बूँद पानी बचाने का स्वभाव बनाना ही पड़ेगा। गाँव का पानी गाँव में रहे, शहर का पानी शहर में रहे, ये हमारा संकल्प होना चाहिए, पानी रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। और वर्षा का पानी रूकता है और अगर ज़मीन में वापिस जाता है और ज़मीन में रीचार्ज होता है, तो सालभर की समस्याओं का समाधान हो जाता है। Rain water harvesting ये कोई नई चीज़ नहीं है, सदियों से चली आ रही है। Check dams हो, watershed development हो, छोटे तालाब हों, खेत-तालाब हों, हमें बूँद-बूँद पानी को बचाना चाहिए। मैं हमेशा लोगों को कहता हूँ कि अगर महात्मा गाँधी का जन्म स्थान... गुजरात में पोरबंदर अगर आप जाते हैं और महात्मा गाँधी का घर अगर देखने जायेंगे तो दो सौ साल पुराने उनके घर के अन्दर भूगर्भ में टैंक है जिसमें वर्षा का पानी सीधा-सीधा वहाँ जाने की व्यवस्था थी। और आप जा के देखोगे महात्मा गाँधी का जन्म स्थान देखने जाओगे तो ज़रूर देखिये, दो सौ साल के बाद भी वो आज भी वैसा ही कार्यरत है। और पानी साल भर ज़रा भी ख़राब नहीं होता है। समुद्र के तट पर है पोरबंदर, लेकिन मीठा पानी वर्षा के पानी को संग्रह करके घर में रखा जाता था, उस समय भी इतनी केयर की जाती थी। हम भी तो कर सकते हैं। और ये जन आन्दोलन बनना चाहिए, गाँव-गाँव ये व्यवस्था होनी चाहिए।
उसी प्रकार से हरियाली हमारे आँखों को कितनी भाती है, हरा-भरा जीवन हमें कितना अच्छा लगता है, पेड़-पौधे, बाग़-बग़ीचे जीवन को हरा-भरा बना देते हैं। हम सब इस वर्षा के मौसम में वृक्षारोपण, पेड़ लगाने का अभियान सामाजिक संगठनों के द्वारा, युवकों के द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में होना चाहिए। और मैं तो एक सुझाव देता हूँ और मेरा प्रत्यक्ष अनुभव है, बड़ा सफल अनुभव है। ये मेरी बिल्कुल ग्रामीण technology है। आप जब पौधा लगाते हो तो पौधे के बग़ल में एक पुराना मिट्टी का घड़ा भी लगा दीजिये और उसमे पानी भर दीजिये। महीने में एक दो बार पानी भरोगे तो भी चलेगा। वो पौधा बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगा, विकास होगा। आप प्रयोग करके देखिये और पुराना मिट्टी का घड़ा तो मिल ही जायेगा। मैं तो किसानों को भी कहता रहता हूँ आप अपने खेत के किनारे पर बाड़ लगाने के बजाय पेड़ लगाइये। वो आपकी सम्पति बन जाएंगे।
ये बात सही है कि बारिश पसंद भी बहुत होती है, मज़ा भी आता है। लेकिन साथ-साथ कभी-कभी बारिश के सीज़न में ही सबसे ज़्यादा बीमारी आती है डॉक्टरों को फ़ुरसत तक नहीं मिलती, इतने पेशंट आते हैं। और हम जानते हैं कि बारिश के दिनों में पानी से बीमारियाँ बहुत फैलती हैं। वातावरण में नमी बढ़ जाने के कारण बेक्टेरिया पनपने लगते हैं और इसके लिए साफ़-सफ़ाई बहुत महत्वपूर्ण बन जाती है, स्वछता बड़ी महत्वपूर्ण बन जाती है। शुद्ध पानी पीने का आग्रह आवश्यक रहता है। ज़्यादातर लोग तो ऐसे समय में उबाल करके ही पानी पीते हैं और उसका लाभ भी होता है। ये बात सही है कि हम जितनी केयर करेंगे बीमारी हमसे दूर रहेगी। पानी तो चाहिये, वर्षा भी चाहिये लेकिन बीमारी से बचना भी चाहिये।
देशवासियो, अभी-अभी हम लोगों ने तीन नई योजनाओं को लॉन्च किया, ख़ास करके शहरी जनों के लिए। हमारे देश में क़रीब 500 छोटे-मोटे शहर हैं। waste to wealth... कूड़े-कचरे में से भी सम्पति बन सकती है, fertilizer बन सकता है, ईंटें बन सकती हैं, बिजली बन सकती है। गंदे पानी को भी शुद्ध करके खेतों में दुबारा उपयोग किया जा सकता है उस अभियान को हमने आगे बढ़ाना है।
अमृत(AMRUT) योजना के तहत हम अपने शहरों को जीवन जीने योग्य बनाने के लिए बड़ा अभियान उठाया है। उसी प्रकार से दुनिया की बराबरी कर सके ऐसा देश भी तो होना चाहिये। देश में, दुनिया की बराबरी कर सके ऐसी स्मार्ट सिटी होनी चाहिये और दूसरी तरफ़ देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को भी रहने के लिए अपना घर होना चाहिए। और घर भी वो, जिसमें बिजली हो, पानी हो, शौचालय हो, नज़दीक में पढ़ने के लिए स्कूल का प्रबंध हो। 2022 में जब भारत आज़ादी के 75 साल मनायेगा हम देशवासियों को घर देना चाहते हैं। इन तीन बातों को ले करके एक बड़ी योजना को आरम्भ किया है। मुझे विश्वास है कि शहरी जीवन में बदलाव लाने में ये सारी योजनायें काम आएँगी।
मैं स्वयं तो सोशल मीडिया के द्वारा आप सब से जुड़ा रहता हूँ, बहुत से नये-नये विचार आप लोगों से मुझे मिलते रहते हैं, सरकार के संबंध में अच्छी-बुरी जानकारियां भी मिलती रहती हैं। लेकिन कभी-कभार दूर सुदूर गाँव में बैठा हुआ एक व्यक्ति भी, उसकी एकाध बात भी हमारे दिल को छू जाती है। आप जानते हैं सरकार की तरफ़ से एक “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन जब सरकार का कार्यक्रम कोई व्यक्ति, समाज, गाँव अपना बना ले, तो उसकी ताक़त कितनी बढ़ जाती है। पिछले दिनों, हरियाणा के बीबीपुर गाँव के एक सरपंच श्रीमान सुनील जगलान जी, उन्हें एक बहुत बड़ा मज़ेदार initiative लिया। उन्होंने ‘selfie with daughter’ इसकी स्पर्धा की अपने गाँव में, और एक माहौल ऐसा बन गया कि हर पिता को अपनी बेटी के साथ सेल्फ़ी निकाल करके सोशल मीडिया में रखने का मन कर गया। ये कल्पना मुझे अच्छी लगी उसके पीछे कुछ कारण भी है। हरियाणा में, बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या बहुत कम है। देश के क़रीब 100 ज़िले ऐसे हैं जिनमें भी ये हालत चिंताजनक है। हरियाणा में सबसे ज़्यादा। लेकिन उसी हरियाणा का एक छोटे से गाँव का सरपंच बेटी बचाओ अभियान को इस प्रकार का मोड़ दे, तब मन को बहुत आनंद होता है, और एक नयी आशा जागती है। इसलिए मैं अपनी प्रसन्नता तो व्यक्त करता हूँ। लेकिन इस घटना से मुझे प्रेरणा भी मिली है और इसलिए मैं भी आपसे आग्रह करता हूँ कि आप भी अपनी बेटी के साथ, ‘selfie with daughter’, अपनी बेटी के साथ selfie निकाल कर के #‘selfiewithdaughter ज़रूर पोस्ट कीजिये। उसके साथ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस विचार को ताक़त देने वाला कोई tagline लिख करके दोगे, उत्तम पंक्ति लिख कर के दोगे, वो किसी भी भाषा में हो सकती है। अंग्रेज़ी हो, हिंदी हो, आपकी मातृभाषा हो, कोई भी भाषा हो। मैं उसमें से जो बहुत ही प्रेरक टैगलाइन होगी वो सेल्फ़ी आपकी बेटी की और आपकी मैं रीट्वीट करूँगा। हम सब एक प्रकार से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस बात को जन आन्दोलन में परिवर्तित कर सकते हैं। जो काम हरियाणा के गाँव बीबीपुर से भाई सुनील ने प्रारंभ किया और हम सब मिल कर के आगे बढ़ाएं और मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि #‘selfiewithdaughter आप जरुर post कीजिये। आप देखिये, बेटियों की गरिमा, बेटियों का गौरव, बेटी बचाओ अभियान कितना आनंद देगा। और ये जो कलंक है हमारे ऊपर, वो कलंक मिट जाएगा।
तो मेरी इस बारिश में आप सबको बहुत शुभकामनाएं, बारिश का मज़ा लीजिये। हमारे देश को हरियाला बनाइये। अंतराष्ट्रीय योग दिवस को एक दिन के लिए नहीं, आप योग की practice चालू रखना। आप देखिये, आपको इसका फ़ायदा नज़र आएगा। और मैं अपने अनुभव से कहता हूँ, इस बात को आगे बढ़ाइये। अपने जीवन का हिस्सा बना दीजिये, इसको ज़रुर कीजिये। और वो बात... Incredible India, आप कहीं पर यात्रा करें, फ़ोटो ज़रुर भेजते रहिये। देश और दुनिया को पता चलेगा कि हमारे देश के पास कितनी विविधता है। एक मुझे लगा कि उसमें handicraft के संबंध में बहुत कम आया है। आप अपने इलाक़े के handicraft को भी तो Incredible India में post कर सकते हो। ऐसी बहुत सी चीज़ें आपके नगर में बनती होंगी, ग़रीब लोग भी बनाते होंगे। Skill जिनके पास है वो भी बनाते होंगे, उसको भी भेज सकते हैं। हमें दुनिया में पहुँचना है, चारों तरफ़ भारत की विशेषताओं को पहुँचाना है। और एक सरल माध्यम हमारे पास है, हम ज़रुर पहुँचायेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज बस इतना ही, अगली मन की बात के लिए अगली बार मिलूँगा। कभी कभार कुछ लोगों को लगता है कि मन की बात मैं सरकार की बड़ी-बड़ी योजनायें घोषित करूँ... जी नहीं, वो तो मैं दिन-रात काम करते ही रहता हूँ। आपसे तो हलकी-फुलकी, खट्टी-मीठी बातें करता रहूँ, बस मुझे इसी में आनंद आता है। बहुत-बहुत धन्यवाद।
सौजन्य- pib.nic.in
पिछली मन की बात में , मैंने आप लोगों से एक प्रार्थना की थी कि छुट्टियों में अगर आप कहीं जाते हैं, और वहां का कोई अगर यादगार चित्र है तो Incredible India hashtag पर आप post कीजिये। जब मैंने कहा था, तो मैंने सोचा नहीं था, कि ऐसा ज़बरदस्त परिणाम मिलेगा। लाखों लोगों ने फोटो पोस्ट किये, ट्विटर पे, फ़ेसबुक पे, इन्स्टाग्राम में। मैं कह सकता हूँ कि, एक से बढ़कर एक दृश्य देखने को मिले, भारत कितनी विविधताओं से भरा हुआ है। स्थापत्य हो, कला हो, प्रकृति हो, झरने हों, पहाड़ हों, नदी हो, समुद्र हो। शायद भारत सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि tourism की दृष्टि से, लोग इतना बड़ा काम कर सकते हैं, जो आप लोगों ने किया है। और कुछ तो मुझे भी इतना भा गए कि मैंने भी उसको re-tweet कर दिया। और मैं समझता हूँ, शायद जिन लोगों ने आंध्रप्रदेश के बेलम की caves का फ़ोटो post नहीं किया होता, तो देश के कई लोगों को शायद पता नहीं होता कि ऐसी कोई चीज़ हमारे देश में है। मध्यप्रदेश में ओरछा की फ़ोटो हो, हम राजस्थान को तो हमेशा पानी के संकट वाला प्रदेश मानते हैं, लेकिन वहां से जब कोई मैनाल के waterfall का फ़ोटो भेजता है, तो बड़ा ही आश्चर्य होता है। यानि सचमुच में एक अद्भुत काम हुआ है। इसको हम आगे बढ़ाएंगे, जारी रखेंगे। दुनिया देखेगी, हमारे देशवासी देखेंगे, हमारी नई पीढ़ी देखेगी।
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने मुझे प्रधानमंत्री तो बना दिया है लेकिन मेरे भीतर का इंसान कभी-कभार, बाक़ी सब पद-प्रतिष्ठाओं से हट करके अपने आप में खो जाता है। 21 जून, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस। मैं कह सकता हूँ कि मेरे मन को उसी प्रकार से आंदोलित कर गया, जिस समय UN में मैंने ये विषय रखा था। तब ऐसा ही लग रहा था जैसे चलो भाई एक बात हो जाए। लेकिन 21 जून का जो दृश्य देखा, जहाँ-जहाँ सूरज गया, जहाँ-जहाँ सूरज की किरणें गयीं, दुनिया का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां योग के द्वारा सूर्य का स्वागत न हुआ हो। हम दावे से कह सकते हैं कि योग अभ्यासुओं की दुनिया में सूरज कभी ढलता नहीं है।
योग को दुनिया ने जिस प्रकार से, पलक-पावड़े बिछा करके सम्मानित किया, सारे विश्व ने जिस प्रकार से अपने कंधे पर उठाया, कौन हिन्दुस्तानी होगा जिसको गर्व नहीं होगा। मैं भी आनंदविभोर हो गया। मन पुलकित हो गया। और जब फ़्रांस के लोग, जिनके लिए सीन नदी और Eiffel Tower बहुत ही गौरवपूर्ण प्रतीक है, उन्होंने योग करने के लिए उस स्थान को पसंद किया, बराबरी का स्थान दे दिया। न्यूयॉर्क में लोगों ने Times Square पर योग किये। ऑस्ट्रेलिया, सिडनी की बात हो तो Opera House का चित्र हमारे सामने आता है। ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों ने Opera House के बराबर में योग को रख कर के वहीं पर योग किया। चाहे नॉर्थ अमेरिका हो, सिलिकन वैली हो, Milan का Duomo Cathedral हो, ये अपने आप में गर्व करने की बात है। और जब 21 जून को मैंने UN के Secretary-General श्रीमान बान की मून को UN Headquarters पर योग करते देखा, कितना आनंद आया मुझे। उसी प्रकार से UN Peace-Keeping Force ने भी योग का बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया। भारत में भी सियाचिन पर, सफ़ेद बर्फ़ की चादर पर हमारे जवान योग कर रहे थे, तो समुंदर में नौसेना के द्वारा, चारों तरफ़, जहां भी हमारे नौसेना के जहाज़ थे, योग के कार्यक्रम हुए। दिल्ली ने तो गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना स्थान दर्ज करवा दिया। राजपथ योगपथ बन गया। मैं देश और दुनिया का ह्रदय से आभारी हूँ, और मैं कह सकता हूँ ये कोई कार्यक्रम की ख़ातिर कार्यक्रम नहीं था। ऐसा लग रहा था कि विश्व के हर कोने से एक नई जिज्ञासा, एक नया आनंद, एक नयी उमंग, एक नया जुड़ाव।
कुछ दिन पहले मैंने जब ट्विटर पे, वियतनाम से एक परिवार ने छोटे बच्चे का योग करता हुआ फ़ोटो ट्वीट किया था, इतना प्यारा था वो फ़ोटो, दुनिया भर में वो इतना प्रचलित हुआ। हर कोई, स्त्री-पुरुष बूढ़े-बच्चे, गाँव-शहर हो, developed countries हो या developing countries हो, हर कोई जुड़ गया। योग सच्चे अर्थ में दुनिया को जोड़ने का एक कारण बन गया। मैं नहीं जानता हूँ, Intellectual class , Elite world इस घटना का कैसा analysis करेगा। लेकिन एक बात मैं महसूस कर रहा हूँ, और हर भारतवासी गर्व अनुभव कर सकता है कि विश्व भारत को जानने के लिए बहुत उत्सुक है। भारत के प्रति एक जिज्ञासा बढ़ी है। यहाँ की values, यहाँ की परम्पराएं, यहाँ की विरासत, दुनिया जानना चाहती है। हम सबका दायित्व है कि बिना लागलपेट के हमारी ये जो विरासत है, विश्व को हमें बांटना चाहिए, विश्व को परिचित कराना चाहिए। लेकिन ये परिचय हम तब करा पायेंगे जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो।
कभी-कभार हम इतने परिचित होते हैं कि अपनी चीज़ें, इसमें क्या नया है, ऐसा लगता है... जैसे हमारी family values, हमें पता नहीं है दुनिया के लिए भारत की family values बहुत बड़ी बात है। क्यों न हम विश्व को हमारी परिवार-प्रथा, family values इससे परिचित करवायें। विश्व को अचम्भा होगा। मैं ज़रूर कहता हूँ अचम्भा होगा। ऐसी बहुत कुछ चीज़ें हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी हैं और जो श्रेष्ठ हैं, उस पर जगत का अधिकार है। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की सफलता आनंद और संतोष के साथ एक नई ज़िम्मेवारी ले के आयी है। ये हमारा दायित्व बनता है कि विश्व को उत्तम योग शिक्षक हम दें। ये हमारा दायित्व बनता है कि योग की सभी परम्पराओं को एक platform पर से जगत से देख पायें।
मैं देश के नौजवानों को विशेष करके IT Professionals को आग्रह करता हूँ, आप सब नौजवान मिल-जुल करके Online Yoga activity की कुछ योजना बनाइये। योग से संबंधित संस्थाओं का परिचय हो, योग गुरुओं की जानकारी हो, योग के संबंध में जानकारी हो। योग सीखना हो तो कहाँ सीख सकते हैं, योग टीचर चाहिये तो कहाँ से मिलेगा, एक database तैयार करना चाहिये और मैं मानता हूँ, आप कर सकते हैं। चलो, कहीं से तो कोई शुरू करें, ये भी एक नई शक्ति बन जायेगा। मैं पिछले कुछ दिनों की घटनाओं को और नज़रिये से भी देखता हूँ। काम करती सरकार, दौड़ती सरकार... एक बार लक्ष्य तय हो तो कैसे परिणाम ला सकती है, ये पिछले दिनों हमने देखा है। और जब चारों तरफ निराशा थी, ये हम न भूलें, एक साल पहले चारों तरफ़ से एक ही स्वर सुनाई देता था, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता, कुछ नहीं होता।
आप कल्पना कर सकते हैं सरकार में आयुष एक डिपार्टमेंट है, कभी किसी का उस तरफ ध्यान नहीं जाता। 2-5 साल में एकाध बार कहीं छोटी-मोटी ख़बर अख़बार में आ जाये तो आ जाये इतना... एक कोने में, छोटा सा डिपार्टमेंट, लेकिन योग दिवस को उसने लीड किया। और दुनिया में छोटे से डिपार्टमेंट ने इतना बड़ा काम आयोजित करके दिखाया। अगर लक्ष्य सामने हो तो छोटी-सी-छोटी इकाई भी कितना उत्तम काम करती है, इसका नमूना है।
पिछले दिनों दुनिया ने देखा कि हमारे लोगों ने यमन में से आफ़तग्रस्त लोगों को कैसे बचाया। घंटों के अंदर भारत के लोग नेपाल पहुँच करके मदद के लिए कैसे दौड़ पड़े, काम करने वाली सरकार जब बैंक में जनधन अकाउंट खोलने थे, सारे बैंक के लोग मैदान में उतर आये और कुछ ही समय में करोड़ों-करोड़ों देशवासियों को बैंक के साथ जोड़ दिया।
गत 15 अगस्त को मैंने लाल किले पर से स्कूलों में शौचालय के लिए अपील की थी। और मैंने कहा था अगले 15 अगस्त तक हमने इस काम को पूरा करना है। जो काम 60 साल में नहीं हो पाया वो एक साल में करने का आह्वान करना बड़ा साहस तो था, क़रीब साढ़े चार लाख टॉयलेट बनाने थे, लेकिन आज मैं संतोष के साथ कह सकता हूँ अभी तो 15 अगस्त आने की देरी है, लेकिन पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन क़रीब-क़रीब स्कूलों में टॉयलेट बनाने के काम को लोगों ने पूरा किया।
मतलब सरकार, लोग, सरकारी मुलाज़िम, सब कोई देश के लिए काम करना चाहते हैं। निस्वार्थ भाव से सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय, अगर हम संकल्प ले करके चलते हैं, तो सरकार भी दौड़ती है, सरकार के लोग भी दौड़ते हैं और जनता-जनार्दन पलक-पावड़े बिछा करके उनका स्वागत भी करती है।
ये मैंने अनुभव किया है और यही तो है जो देश को आगे बढ़ाने की सच्ची ताक़त है। पिछले महीने हमने तीन जन सुरक्षा की योजनाओं को लॉन्च लिया था, मैंने कलकत्ता से किया था। इतने कम समय में बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिला है। भारत में जन सुरक्षा की दृष्टि से बहुत कम काम हुआ है लेकिन इन तीन योजनाओं के कारण एक बहुत बड़ा जम्प हम लगा रहें हैं। इतने कम समय में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इन जन सुरक्षाओं की योजनाओं में कहीं न कहीं जुड़ गयें हैं लेकिन हमें इसको और आगे बढ़ाना हैं। मेरे मन में एक विचार आता है। ये विचार मैं आपके सामने रखता हूँ। अगस्त महीने में रक्षाबंधन त्योहार आता है। क्या हम सभी देशवासी रक्षाबंधन के त्योहार के पहले एक ज़बरदस्त जन आन्दोलन खड़ा करें और हमारे देश की माताओं-बहनों को ये जो जन सुरक्षा योजना हैं उसका लाभ दें। हमारे घर में खाना पकाने वाली कोई बहन हो या बर्तन साफ़ करने वाली बहन हो या हमारे खेत में मज़दूरी करने वाली कोई बहन हो या हमारे परिवार में अपनी बहने हों। क्या रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार को ध्यान में रखते हुए हम 12 रूपए वाली या 330 रूपए वाली जन सुरक्षा योजनायें जीवन भर के लिए अपनी बहनों को गिफ्ट दे सकते हैं। रक्षाबंधन की भाई की तरफ़ से बहन को एक बहुत बड़ी गिफ्ट हो सकती हैं। क्यों न हम रक्षाबंधन के पर्व को एक लक्ष्य मान कर के 2 करोड़, 5 करोड़, 7 करोड़, 10 करोड़... देखे तो सही, कितनी बहनों तक हम ये लाभ पहुँचा सकते है। आइए मेरे साथ मिल करके इस संकल्प को पूरा करने के लिए हम सब प्रयास करें। मैं
जब मन की बात करता हूँ तो कई सारे लोग मुझे सुझाव भी भेजते हैं। इस बार मानसून के लिए मुझे कुछ कहना चाहिए ऐसा सुझाव बहुत लोगों ने भेजे है। नागपुर के योगेश दांडेकर, मैसूर के हर्षवर्धन जी, प्रवीण नाडकर्णी जी, दिव्यांशु गुप्ता जी, उन्होनें कहा कि मानसून के लिए ज़रूर आप मन की बात में कुछ बाते बताइये। अच्छे सुझाव उन्होंने भेजे हैं। और वैसे भी ये मौसम मन को बड़ा प्रसन्न करने वाला मौसम होता है। और पहली बारिश तो हर कोई को, किसी भी उम्र में क्यों न हो, वर्षा का मज़ा लेने का मन करता है। आप भी हो सकता है बारिश में गर्म पकोड़ों का, भजीये का, कॉर्न का, साथ साथ चाय का मज़ा लेते होंगे। लेकिन साथ-साथ जिस प्रकार से सूरज की किरणें जीवन देती हैं, वैसे ही वर्षा हमारे जीवन को ताक़त देती है। बूँद बूँद पानी का बहुत मूल्य होता है। हमें एक नागरिक के नाते, समाज के नाते, बूँद बूँद पानी बचाने का स्वभाव बनाना ही पड़ेगा। गाँव का पानी गाँव में रहे, शहर का पानी शहर में रहे, ये हमारा संकल्प होना चाहिए, पानी रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए। और वर्षा का पानी रूकता है और अगर ज़मीन में वापिस जाता है और ज़मीन में रीचार्ज होता है, तो सालभर की समस्याओं का समाधान हो जाता है। Rain water harvesting ये कोई नई चीज़ नहीं है, सदियों से चली आ रही है। Check dams हो, watershed development हो, छोटे तालाब हों, खेत-तालाब हों, हमें बूँद-बूँद पानी को बचाना चाहिए। मैं हमेशा लोगों को कहता हूँ कि अगर महात्मा गाँधी का जन्म स्थान... गुजरात में पोरबंदर अगर आप जाते हैं और महात्मा गाँधी का घर अगर देखने जायेंगे तो दो सौ साल पुराने उनके घर के अन्दर भूगर्भ में टैंक है जिसमें वर्षा का पानी सीधा-सीधा वहाँ जाने की व्यवस्था थी। और आप जा के देखोगे महात्मा गाँधी का जन्म स्थान देखने जाओगे तो ज़रूर देखिये, दो सौ साल के बाद भी वो आज भी वैसा ही कार्यरत है। और पानी साल भर ज़रा भी ख़राब नहीं होता है। समुद्र के तट पर है पोरबंदर, लेकिन मीठा पानी वर्षा के पानी को संग्रह करके घर में रखा जाता था, उस समय भी इतनी केयर की जाती थी। हम भी तो कर सकते हैं। और ये जन आन्दोलन बनना चाहिए, गाँव-गाँव ये व्यवस्था होनी चाहिए।
उसी प्रकार से हरियाली हमारे आँखों को कितनी भाती है, हरा-भरा जीवन हमें कितना अच्छा लगता है, पेड़-पौधे, बाग़-बग़ीचे जीवन को हरा-भरा बना देते हैं। हम सब इस वर्षा के मौसम में वृक्षारोपण, पेड़ लगाने का अभियान सामाजिक संगठनों के द्वारा, युवकों के द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में होना चाहिए। और मैं तो एक सुझाव देता हूँ और मेरा प्रत्यक्ष अनुभव है, बड़ा सफल अनुभव है। ये मेरी बिल्कुल ग्रामीण technology है। आप जब पौधा लगाते हो तो पौधे के बग़ल में एक पुराना मिट्टी का घड़ा भी लगा दीजिये और उसमे पानी भर दीजिये। महीने में एक दो बार पानी भरोगे तो भी चलेगा। वो पौधा बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगा, विकास होगा। आप प्रयोग करके देखिये और पुराना मिट्टी का घड़ा तो मिल ही जायेगा। मैं तो किसानों को भी कहता रहता हूँ आप अपने खेत के किनारे पर बाड़ लगाने के बजाय पेड़ लगाइये। वो आपकी सम्पति बन जाएंगे।
ये बात सही है कि बारिश पसंद भी बहुत होती है, मज़ा भी आता है। लेकिन साथ-साथ कभी-कभी बारिश के सीज़न में ही सबसे ज़्यादा बीमारी आती है डॉक्टरों को फ़ुरसत तक नहीं मिलती, इतने पेशंट आते हैं। और हम जानते हैं कि बारिश के दिनों में पानी से बीमारियाँ बहुत फैलती हैं। वातावरण में नमी बढ़ जाने के कारण बेक्टेरिया पनपने लगते हैं और इसके लिए साफ़-सफ़ाई बहुत महत्वपूर्ण बन जाती है, स्वछता बड़ी महत्वपूर्ण बन जाती है। शुद्ध पानी पीने का आग्रह आवश्यक रहता है। ज़्यादातर लोग तो ऐसे समय में उबाल करके ही पानी पीते हैं और उसका लाभ भी होता है। ये बात सही है कि हम जितनी केयर करेंगे बीमारी हमसे दूर रहेगी। पानी तो चाहिये, वर्षा भी चाहिये लेकिन बीमारी से बचना भी चाहिये।
देशवासियो, अभी-अभी हम लोगों ने तीन नई योजनाओं को लॉन्च किया, ख़ास करके शहरी जनों के लिए। हमारे देश में क़रीब 500 छोटे-मोटे शहर हैं। waste to wealth... कूड़े-कचरे में से भी सम्पति बन सकती है, fertilizer बन सकता है, ईंटें बन सकती हैं, बिजली बन सकती है। गंदे पानी को भी शुद्ध करके खेतों में दुबारा उपयोग किया जा सकता है उस अभियान को हमने आगे बढ़ाना है।
अमृत(AMRUT) योजना के तहत हम अपने शहरों को जीवन जीने योग्य बनाने के लिए बड़ा अभियान उठाया है। उसी प्रकार से दुनिया की बराबरी कर सके ऐसा देश भी तो होना चाहिये। देश में, दुनिया की बराबरी कर सके ऐसी स्मार्ट सिटी होनी चाहिये और दूसरी तरफ़ देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को भी रहने के लिए अपना घर होना चाहिए। और घर भी वो, जिसमें बिजली हो, पानी हो, शौचालय हो, नज़दीक में पढ़ने के लिए स्कूल का प्रबंध हो। 2022 में जब भारत आज़ादी के 75 साल मनायेगा हम देशवासियों को घर देना चाहते हैं। इन तीन बातों को ले करके एक बड़ी योजना को आरम्भ किया है। मुझे विश्वास है कि शहरी जीवन में बदलाव लाने में ये सारी योजनायें काम आएँगी।
मैं स्वयं तो सोशल मीडिया के द्वारा आप सब से जुड़ा रहता हूँ, बहुत से नये-नये विचार आप लोगों से मुझे मिलते रहते हैं, सरकार के संबंध में अच्छी-बुरी जानकारियां भी मिलती रहती हैं। लेकिन कभी-कभार दूर सुदूर गाँव में बैठा हुआ एक व्यक्ति भी, उसकी एकाध बात भी हमारे दिल को छू जाती है। आप जानते हैं सरकार की तरफ़ से एक “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” कार्यक्रम चल रहा है। लेकिन जब सरकार का कार्यक्रम कोई व्यक्ति, समाज, गाँव अपना बना ले, तो उसकी ताक़त कितनी बढ़ जाती है। पिछले दिनों, हरियाणा के बीबीपुर गाँव के एक सरपंच श्रीमान सुनील जगलान जी, उन्हें एक बहुत बड़ा मज़ेदार initiative लिया। उन्होंने ‘selfie with daughter’ इसकी स्पर्धा की अपने गाँव में, और एक माहौल ऐसा बन गया कि हर पिता को अपनी बेटी के साथ सेल्फ़ी निकाल करके सोशल मीडिया में रखने का मन कर गया। ये कल्पना मुझे अच्छी लगी उसके पीछे कुछ कारण भी है। हरियाणा में, बालकों की तुलना में बालिकाओं की संख्या बहुत कम है। देश के क़रीब 100 ज़िले ऐसे हैं जिनमें भी ये हालत चिंताजनक है। हरियाणा में सबसे ज़्यादा। लेकिन उसी हरियाणा का एक छोटे से गाँव का सरपंच बेटी बचाओ अभियान को इस प्रकार का मोड़ दे, तब मन को बहुत आनंद होता है, और एक नयी आशा जागती है। इसलिए मैं अपनी प्रसन्नता तो व्यक्त करता हूँ। लेकिन इस घटना से मुझे प्रेरणा भी मिली है और इसलिए मैं भी आपसे आग्रह करता हूँ कि आप भी अपनी बेटी के साथ, ‘selfie with daughter’, अपनी बेटी के साथ selfie निकाल कर के #‘selfiewithdaughter ज़रूर पोस्ट कीजिये। उसके साथ बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस विचार को ताक़त देने वाला कोई tagline लिख करके दोगे, उत्तम पंक्ति लिख कर के दोगे, वो किसी भी भाषा में हो सकती है। अंग्रेज़ी हो, हिंदी हो, आपकी मातृभाषा हो, कोई भी भाषा हो। मैं उसमें से जो बहुत ही प्रेरक टैगलाइन होगी वो सेल्फ़ी आपकी बेटी की और आपकी मैं रीट्वीट करूँगा। हम सब एक प्रकार से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस बात को जन आन्दोलन में परिवर्तित कर सकते हैं। जो काम हरियाणा के गाँव बीबीपुर से भाई सुनील ने प्रारंभ किया और हम सब मिल कर के आगे बढ़ाएं और मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि #‘selfiewithdaughter आप जरुर post कीजिये। आप देखिये, बेटियों की गरिमा, बेटियों का गौरव, बेटी बचाओ अभियान कितना आनंद देगा। और ये जो कलंक है हमारे ऊपर, वो कलंक मिट जाएगा।
तो मेरी इस बारिश में आप सबको बहुत शुभकामनाएं, बारिश का मज़ा लीजिये। हमारे देश को हरियाला बनाइये। अंतराष्ट्रीय योग दिवस को एक दिन के लिए नहीं, आप योग की practice चालू रखना। आप देखिये, आपको इसका फ़ायदा नज़र आएगा। और मैं अपने अनुभव से कहता हूँ, इस बात को आगे बढ़ाइये। अपने जीवन का हिस्सा बना दीजिये, इसको ज़रुर कीजिये। और वो बात... Incredible India, आप कहीं पर यात्रा करें, फ़ोटो ज़रुर भेजते रहिये। देश और दुनिया को पता चलेगा कि हमारे देश के पास कितनी विविधता है। एक मुझे लगा कि उसमें handicraft के संबंध में बहुत कम आया है। आप अपने इलाक़े के handicraft को भी तो Incredible India में post कर सकते हो। ऐसी बहुत सी चीज़ें आपके नगर में बनती होंगी, ग़रीब लोग भी बनाते होंगे। Skill जिनके पास है वो भी बनाते होंगे, उसको भी भेज सकते हैं। हमें दुनिया में पहुँचना है, चारों तरफ़ भारत की विशेषताओं को पहुँचाना है। और एक सरल माध्यम हमारे पास है, हम ज़रुर पहुँचायेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो, आज बस इतना ही, अगली मन की बात के लिए अगली बार मिलूँगा। कभी कभार कुछ लोगों को लगता है कि मन की बात मैं सरकार की बड़ी-बड़ी योजनायें घोषित करूँ... जी नहीं, वो तो मैं दिन-रात काम करते ही रहता हूँ। आपसे तो हलकी-फुलकी, खट्टी-मीठी बातें करता रहूँ, बस मुझे इसी में आनंद आता है। बहुत-बहुत धन्यवाद।
सौजन्य- pib.nic.in
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