राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने दिव्य आद्या माता के 100वें अवतरण समारोह में हिस्सा लिया। समारोह कोलकाता में हुआ और इसे दक्षिणेश्वर रामकृष्ण संघ आद्यापीठ ने आयोजित किया। उन्होंने इस मौके पर आद्यापीठ आनंद बी.एड. कॉलेज और बालकों के लिए एक अनाथालय का उद्घाटन किया।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने वहां उपस्थित लोगों से कहा कि वह दक्षिणेश्वर रामकृष्ण संघ आद्यापीठ की गतिविधियों को देखकर काफी खुशी महसूस कर रहे हैं। उन्हें आद्यापीठ की ओर से संचालित वृद्धाश्रम, विधवा आश्रम स्थलों, कल्याणनार्थ अस्पताल, बालिका विद्यालय, संस्कृत महाविद्यालय और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान को देखकर हर्ष का अनुभव हो रहा है। आद्यापीठ ने धर्म, जाति और वर्ग के आधार पर कभी किसी से भेदभाव नहीं किया है। आद्यापीठ साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है और इसने स्थानीय आबादी को चिकित्सा सुविधा तथा आध्यात्मिक सहायता देने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।
राष्ट्रपति ने इस मौके पर देश में प्राथमिक और उच्च शिक्षा की सुविधा के प्रसार पर जोर दिया, ताकि युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकें। इस संबंध में उन्होंने आद्यापीठ की ओर से की गई कोशिश की सराहना की। उन्होंने कहा कि बी.एड. कॉलेज और हजारों अनाथ बच्चों के लिए आश्रय स्थल खोलकर पीठ इसी दिशा में काम कर रहा है।
राष्ट्रपति ने देश में शिक्षा देने के शानदार अतीत की याद दिलाई और कहा कि हमारे देश में ईसा पूर्व तीसरी सदी से लेकर 12वीं सदी तक शिक्षा का शानदार इतिहास रहा है। इस दौरान देश में नालंदा जैसे विश्वविद्यलय का अस्तित्व रहा। इस दौरान भारत में शिक्षा हासिल करने के लिए दुनियाभर के छात्र और विद्वान आए, लेकिन 12वीं सदी के बाद हमारी शिक्षा व्यवस्था अपना गौरव खोने लगी। राष्ट्रपति ने देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के प्रावधान किये गए।
Courtesy: pib.nic.in
इस मौके पर राष्ट्रपति ने वहां उपस्थित लोगों से कहा कि वह दक्षिणेश्वर रामकृष्ण संघ आद्यापीठ की गतिविधियों को देखकर काफी खुशी महसूस कर रहे हैं। उन्हें आद्यापीठ की ओर से संचालित वृद्धाश्रम, विधवा आश्रम स्थलों, कल्याणनार्थ अस्पताल, बालिका विद्यालय, संस्कृत महाविद्यालय और शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान को देखकर हर्ष का अनुभव हो रहा है। आद्यापीठ ने धर्म, जाति और वर्ग के आधार पर कभी किसी से भेदभाव नहीं किया है। आद्यापीठ साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है और इसने स्थानीय आबादी को चिकित्सा सुविधा तथा आध्यात्मिक सहायता देने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं।
राष्ट्रपति ने इस मौके पर देश में प्राथमिक और उच्च शिक्षा की सुविधा के प्रसार पर जोर दिया, ताकि युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसर बढ़ सकें। इस संबंध में उन्होंने आद्यापीठ की ओर से की गई कोशिश की सराहना की। उन्होंने कहा कि बी.एड. कॉलेज और हजारों अनाथ बच्चों के लिए आश्रय स्थल खोलकर पीठ इसी दिशा में काम कर रहा है।
राष्ट्रपति ने देश में शिक्षा देने के शानदार अतीत की याद दिलाई और कहा कि हमारे देश में ईसा पूर्व तीसरी सदी से लेकर 12वीं सदी तक शिक्षा का शानदार इतिहास रहा है। इस दौरान देश में नालंदा जैसे विश्वविद्यलय का अस्तित्व रहा। इस दौरान भारत में शिक्षा हासिल करने के लिए दुनियाभर के छात्र और विद्वान आए, लेकिन 12वीं सदी के बाद हमारी शिक्षा व्यवस्था अपना गौरव खोने लगी। राष्ट्रपति ने देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के प्रावधान किये गए।
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