रीयल एस्टेट (विनियमन और विकास) विधेयक 2013 में लेनदेन के संबंध में पारदर्शिता, निष्पक्षता और नीतिपरक व्यावसायिक कार्यप्रणाली को बढ़ावा देने, परियोजना के विवरण का खुलासा और परियोजना तथा खरीदार के संबंध में अनुबंधों की कानूनी बाध्यताओं का विशेष रूप से प्रावधान किया गया है जिसमें खरीदारों के लिए पूरी जानकारी के साथ चयन की व्यवस्था की गई है। परियोजना के विवरण की जानकारी देने से रीयल एस्टेट संबंधी लेनदेन में व्याप्त विषमताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
इस समय रीयल एस्टेट और आवास क्षेत्र काफी हद तक अनियंत्रित और अस्पष्ट है, जिससे उपभोक्ताओं को अक्सर इस संबंध में पूरी जानकारी नहीं मिल पाती, अथवा प्रभावकारी नियमों के अभाव में बिल्डरों और डेवलपरों की जवाबदेही तय नहीं हो पाती। उम्मीद है कि यह विधेयक उपभोक्ताओं के प्रति अधिक जवाबदेही तय करेगा और जालसाजी और परियोजना के पूरा होने में होने वाली देरी में पर्याप्त कमी लायेगा। इस विधेयक का उद्देश्य रीयल एस्टेट और आवास से जुड़े लेन-देन में पारदर्शिता लाने के साथ ही जवाबेदही तय करके आम जनता का विश्वास बहाल करना है जिससे इस क्षेत्र की पूंजी और वित्तीय बाजारों तक पहुंच हो सकेगी जो इसकी दीर्घकालिक वृद्धि के लिए अनिवार्य है।
परियोजना के बारे में विस्तृत प्रावधान इस प्रकार है:-
प्राधिकार को आवेदन
अनुच्छेद 4 (1): प्रत्येक प्रमोटर रीयल एस्टेट परियोजना के पंजीकरण के लिए प्राधिकार में आवेदन कर सकता है। यह आवेदन प्राधिकार द्वारा बनाए गए नियमों के भीतर होगा।
(2) प्रमोटर को उप-अनुच्छेद (1) में उल्लेखित आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेजों को लगाना होगा:-
(क) अपने उद्यम का संक्षिप्त ब्यौरा जिसमें उसका नाम, पंजीकृत पता, उद्यम का प्रकार (स्वामित्व, सोसायटी, साझेदारी, कम्पनियां, सक्षम अधिकारी) और पंजीकरण का ब्यौरा शामिल है;
(ख) आवेदन में उल्लिखित रीयल एस्टेट परियोजना के लिए लागू कानूनों के अनुसार सक्षम अधिकारी से प्राप्त परियोजना के आरंभ होने के संदर्भ में प्रमाण पत्र की प्रमाणित प्रति जो रीयल एस्टेट परियोजना पर लागू होती है, और इस परियोजना को विभिन्न चरणों में कहां-कहां आगे बढ़ाया जाएगा, इसका आवेदन में जिक्र हो। इस तरह के प्रत्येक चरण के लिए सक्षम अधिकारी की मंजूरी की प्रमाणित प्रति;
(ग) प्रस्तावित परियोजना अथवा चरण का खाका और साथ ही सक्षम अधिकारी द्वारा मंजूर संपूर्ण परियोजना का नक्शा;
(घ) प्रस्तावित परियोजना के लिए किए जाने वाले विकास कार्यों की योजना और उसके बाद दी जाने वाली प्रस्तावित सुविधाएं;
(ड.) एलाटमेंट पाने वालों के साथ हस्ताक्षर किए जाने वाले प्रस्तावित समझौतों का प्रारूप;
(च) परियोजना में बिक्री वाले अपार्टमेंटों की संख्या और कारपेट एरिया;
(छ) प्रस्तावित परियोजना के लिए रीयल एस्टेट एजेंट का नाम और पता, यदि कोई है;
(ज) ठेकेदार, वास्तुकार, ढांचा इंजीनियर, यदि कोई हो और प्रस्तावित परियोजना के विकास से जुड़े अन्य व्यक्तियों के नाम और पते;
(झ) एक हलफनामे के साथ घोषणापत्र, जिसमें प्रमोटर अथवा प्रमोटर द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति के हस्ताक्षर हों, जिसमें कहा गया हो-
(1) कि जिस भूमि पर विकास प्रस्तावित है, उस पर उसे कानूनी अधिकार प्राप्त है। इसके साथ ही इस जमीन का स्वामित्व किसी अन्य व्यक्ति के पास रहता है तो भी उसे कानूनी अधिकार प्राप्त है।
(2) कि भूमि सभी तरह की बाधाओं से मुक्त है अथवा इस तरह की जमीन पर अधिकारों, शीर्षक, दिलचस्पी अथवा किसी पक्ष का नाम सहित किसी प्रकार की बाधा नहीं है;
(3) वह अवधि जिसके भीतर कोई भी व्यक्ति परियोजना अथवा चरण को पूरा करने का वचन लेता है;
(4) कि एक योग्य सरकार की समय-समय पर जारी अधिसूचना के अनुसार प्रमोटर को रीयल एस्टेट परियोजना के लिए तय राशि का 70 प्रतिशत अथवा उससे कम प्रतिशत की परियोजना राशि, वसूली के 15 दिन के भीतर एक अलग खाते में जमा करानी होगी जिसे निर्माण की लागत को पूरा करने के लिए एक अनुसूचित बैंक में रखा जायेगा और इस राशि का इस्तेमाल इसी कार्य के लिए किया जाएगा।
व्याख्या – इस खंड के लिए ‘’अनुसूचित बैंक’’ का अर्थ है ऐसा बैंक जिसे भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल किया गया है;
(5) कि उसने वह दस्तावेज जमा कराए हैं जिनका इस अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों और शर्तों में उल्लेख किया गया है; और
(6) इस तरह की कोई अन्य सूचना और दस्तावेज
प्रमोटर के कार्य और कर्तव्य
अनुच्छेद 11. (1) : प्रमोटर (क) अनुच्छेद 5 के उप-अनुच्छेद (1)अथवा अनुच्छेद 5 के उप-अनुच्छेद (2) के अंतर्गत अपना लॉग-इन और पासवर्ड प्राप्त करने पर प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपना वेब-पेज बना सकता है और अनुच्छेद 4 के उप-अनुच्छेद (2) के अंतर्गत प्रदान की गई सभी जानकारियों को प्रस्तावित परियोजना में डाल सकता है-जिसमें शामिल है-
(क) प्राधिकार द्वारा दिया गया पंजीकरण का विवरण;
(ख) बुक किए गए अपार्टमेंटों अथवा प्लाटों की संख्या और प्रकार की संपूर्ण अद्यतन सूची प्रत्येक तिमाही पर;
(ग) परियोजना की अद्यतन स्थिति के बारे में तिमाही जानकारी और;
(घ) प्राधिकार द्वारा बनाए गए नियमों में दी गई इस तरह की अन्य सूचना और दस्तावेज
(2) प्रमोटर द्वारा जारी अथवा प्रकाशित विज्ञापन अथवा विवरणिका में प्राधिकार की वेबसाईट का पता साफ-साफ हो, जबकि पंजीकरण परियोजना के सभी विवरणों को शामिल किया जाए तथा प्राधिकार से प्राप्त पंजीकरण संख्या और इस तरह के अन्य मामलों को शामिल किया जाए।
(3) एलॉटमेंट पाने वाले के साथ बिक्री संबंधी समझौता करते समय प्रमोटर को एलॉटमेंट पाने वाले को निम्नलिखित जानकारी उपलब्ध करानी होगी:-
(क) प्राधिकार द्वारा बनाए गए निर्दिष्ट नियमों के अनुसार सक्षम अधिकारियों द्वारा मंजूर स्थान और नक्शे की योजनाओं को विर्निदेशों के साथ जगह पर अथवा इस तरह के अन्य स्थानों पर लगाया जाए।
(ख) पानी, स्वच्छता और बिजली के प्रावधानों सहित परियोजना के पूरा होने की चरणवार समय-सारिणी
(4) प्रमोटर को-
(क) उचित सक्षम अधिकारी से स्थानीय कानूनों अथवा अन्य कानूनों के अनुसार कम्प्लीशन सर्टिफिकेट लेना होगा और इसे एलॉटमेंट पाने वालों को अलग-अलग अथवा एलॉटमेंट पाने वालों के सहयोगियों को उपलब्ध कराना होगा, जैसी भी स्थिति हो;
(ख) प्रमोटर आवश्यक सेवाएं प्रदान करने और उनके रख-रखाव के लिए जिम्मेदार होगा जैसा कि सेवा स्तर के समझौतों में निर्दिष्ट किया गया है;
(ग) एलॉटमेंट पाने वालों, उनके किसी फेडरेशन के मामले में एक एसोसिएशन अथवा सोसायटी अथवा सहकारी सोसायटी के गठन के लिए कदम उठाए।
(5) प्रमोटर बिक्री समझौते की शर्तों में केवल एलॉटमेंट रद्द कर सकता है:
बशर्ते एलॉटमेंट पाने वाला राहत के लिए अधिकारी के पास जाए, अगर वह रद्द करने की इस तरह की प्रक्रिया से असंतुष्ट है और यह प्रक्रिया बिक्री के अनुसार, एकतरफा और बिना किसी पर्याप्त कारण के है।
(6) प्रमोटर प्राधिकार द्वारा बनाए गए समय-समय पर अन्य तरह के विवरण तैयार करें और उनकी संभालें।
सौजन्यः पत्र सूचना कार्यालय
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