Tuesday 6 October 2020

भारतीय सांकेतिक भाषा में शैक्षिक सामग्री को परिवर्तित के लिए आईएसएलआरटीसी और एनसीईआरटी के बीच ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए

श्रवण बाधित बच्चों के लिए उनके संवाद का पसंदीदा प्रारूप यानी भारतीय सांकेतिक भाषा में शिक्षण सामग्री तक पहुंच कायम करने के उद्देश्य से भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र-आईएसएलआरटीसी (सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग का एक राष्ट्रीय संस्थान) और एनसीईआरटी (शिक्षा मंत्रालय का एक राष्ट्रीय संस्थान राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के बीच आज एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. थावरचंद गहलोत की वर्चुअल उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए । केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती शकुंतला डी गामलिन और शिक्षा मंत्रालय की सचिव (विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता) श्रीमती अनीता करवाल, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के आईएसएलआरटीसी के संयुक्त सचिव, और निदेशक डॉ. प्रबोध सेठ और एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. हृषिकेश सेनापति ने संबंधित संस्थानों की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए।

डॉ. थावरचंद गहलोत ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि इस समझौते पर हस्ताक्षर करना एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और श्रवणबाधित बच्चे भी अब भारतीय सांकेतिक भाषा में शैक्षिक संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे तथा यह हियरिंग इम्प्रूव्ड स्टूडेंट्स, टीचर्स, एजुकेटर टीचर्स, पेरेंट्स और हियरिंग इम्पेयर कम्युनिटी के लिए एक उपयोगी और बहुत जरूरी संसाधन होगा, जिससे देश में हियरिंग इम्प्रूव्ड बच्चों की पढ़ाई पर बहुत असर पड़ेगा। इस समझौते के बाद, एनसीईआरटी की शैक्षिक पुस्तकें और सामग्री भारतीय साइन लैंग्वेज में उपलब्ध होंगी, जो पूरे भारत में एक ही है, जिसका अर्थ है कि भारत के सभी श्रवणबाधित छात्र चाहे वह पूर्व या पश्चिम या उत्तर या दक्षिण से हों, वे सभी एक ही भाषा अर्थात भारतीय सांकेतिक भाषा में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ेंगे । भारतीय सांकेतिक भाषा अनेकता में एकता को दर्शाती है, जिसे हाथों और आंखों के माध्यम से समझा जाता है और यह हमारे देश के सभी श्रवणबाधित लोगों को एक साथ जोड़ता है।

श्री गहलोत ने कहा कि यह समझौता दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 और नई शिक्षा नीति, 2020 की जरूरतों को पूरा करने के सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है। इस समझौते के हिस्से के रूप में, एनसीईआरटी की पुस्तकों जैसे शैक्षिक प्रिंट सामग्री, शिक्षक हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों के सभी विषयों की पहली से बारहवीं कक्षा की हैंडबुक और अन्य अनुपूरक सामग्री और संसाधन डिजिटल प्रारूप में भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित हो जाएंगे।

श्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज 60वें स्थापना दिवस पर एनसीईआरटी को बधाई दी और कहा कि एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच एनसीईआरटी की शैक्षणिक सामग्री को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से भारतीय सांकेतिक भाषा के लक्ष्य का मानकीकरण हो गया है, जैसा कि नई शिक्षा नीति, 2020 में अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने पिछले 6 वर्षों से देश में दिव्यांगजन के कल्याण और उत्थान के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं और उनकी उपलब्धियों के लिए कई नए रिकॉर्ड भी बनाए हैं। निश्चित रूप से यह समझौते हमारे देश में श्रवणबाधित बच्चों को सशक्त करेगा। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 एक समावेशी नीति है और यह हमारे देश को बदल देगी।

श्रीमती शकुंतला डी गामलिन ने अपने संबोधन में कहा कि बचपन के दिनों में बच्चों के संज्ञानात्मक कौशल का विकास होता है और उन्हें उनकी सीखने की जरूरतों के अनुसार शैक्षिक सामग्री प्रदान करना बहुत आवश्यक है। अब तक, श्रवणबाधित बच्चे केवल मौखिक या लिखित माध्यम से अध्ययन करते थे, लेकिन इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद, वे एकल भारतीय सांकेतिक भाषा के माध्यम से भी अध्ययन कर सकते हैं। यह न केवल उनकी शब्दावली को बढ़ाएगा बल्कि अवधारणाओं को समझने की उनकी क्षमताओं को भी बढ़ाएगा। इस समझौते पर हस्ताक्षर करना यूनिसेफ की पहल "सभी के लिए सुलभ डिजिटल पाठ्यपुस्तकों" पर आधारित है और यह एक ऐतिहासिक निर्णय है।

अपने संबोधन में श्रीमती अनीता करवाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति, 2020 ने बहुभाषी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है। अब शिक्षा मंत्रालय के तहत एनसीईआरटी भारतीय सांकेतिक भाषा के लिए एक सांकेतिक भाषा मॉड्यूल विकसित करेगा। उन्होंने एनसीईआरटी को 60वें स्थापना दिवस पर बधाई दी और साथ ही इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए आईएसएलआरटीसी के साथ एनसीईआरटी की शैक्षणिक सामग्रियों को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित करने के लिए कहा।

भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग का एक स्वायत्त राष्ट्रीय संस्थान है, जो भारतीय सांकेतिक भाषा के उपयोग को लोकप्रिय बनाने, भारतीय सांकेतिक भाषा में शिक्षण और अनुसंधान के संचालन हेतु मानव-शक्ति के विकास के लिए समर्पित है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत एनसीईआरटी एक स्वायत्त संगठन है, जो विद्यालय शिक्षा से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देकर, मॉडल पाठ्यपुस्तकों, पूरक सामग्री, समाचार पत्र, पत्रिकाओं को तैयार और प्रकाशित करके और शैक्षिक किट, मल्टीमीडिया डिजिटल सामग्री आदि विकसित करके तथा नवीन शैक्षिक तकनीकों और प्रथाओं का विकास एवं प्रसार करके विद्यालय शिक्षा में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी है। यह प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।

सौजन्य से: pib.gov.in














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