Thursday, 28 May 2020

कोविड-19 से निपटने के लिए समाधान ढूंढने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग


कम्प्यूटेशनल दवा की खोज के लिए 'हैकथॉन' शुरू किया जा रहा है: प्रोफेसर के विजय राघवन

आज यहां पर एक मीडिया ब्रीफिंग में, नीति आयोग के सदस्य, डॉ. विनोद पॉल और भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर के विजय राघवन ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा कोविड-19 से संबंधित टीकों, औषधि खोज, नैदानिकी और परीक्षण क्षेत्रों में जारी गतिविधियों पर संक्षिप्त जानकारी दी।

टीकों के संबंध में यह बताया गया कि, यह प्रक्रिया आमतौर पर धीमी और अनिश्चितताओं से भरी होती है। लेकिन, कोविड-19 के खिलाफ सफलता प्राप्ति के लिए बड़ी संख्या में समानांतर प्रयास करने की भी आवश्यकता है। ऐसा वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है। भारतीय शैक्षणिक समुदाय और स्टार्ट-अप वैक्सीन उम्मीदवारी के लिए बहुत ही मजबूत भारतीय वैक्सीन उद्योग में काम कर रहे हैं। तीन प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। पहला प्रयास स्वदेशी हैं। दूसरा प्रयास वैश्विक स्तर पर सहयोगात्मक हैं, जिसमें भारतीय संगठन अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं और तीसरा प्रयास वैश्विक प्रयास है जिसमें भारतीय भागीदारी है। इतने बड़े पोर्टफोलियो के साथ, विनिर्माण और भंडारण के लिए जोखिम कम करने के प्रयासों के बाद, सफलता का बेहतर आश्वासन मिलता है।

दवा की खोज पर हमारे वैज्ञानिक प्रयासों में तीन दृष्टिकोण अपनाए जा रहे हैं। पहला, मौजूदा दवाओं का पुनः प्रस्तुतिकरण, यह देखने के लिए कि यह वायरस के खिलाफ कितना प्रभावी है और रोग के परिणामों को कम करने में कितना सक्षम है। दूसरा, पादप-औषधीय और औषधीय पौधों से निकले अर्क का परीक्षण किया जा रहा है। अंत में, विभिन्न दृष्टिकोणों का उपयोग करते हुए, कम्प्यूटेशनल दवा की खोज के लिए 'हैकथॉन' सहित नई दवा की खोज की जा रही है।

अनुसंधान प्रयासों के एक सम्मिश्रण के नतीजे, नए परीक्षण और परीक्षण किट में सामने आए हैं। इनमें वायरस का पता लगाने और एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए नए परीक्षण भी शामिल हैं। बाद वाले का उपयोग सीरोलॉजिकल अध्ययनों के लिए किया जा रहा है।

इन विकासों में प्रगति हमारे वैज्ञानिकों, संस्थानों और विज्ञान एजेंसियों के सहयोगात्मक प्रयासों से ही संभव हो सकी है। गुणवत्ता के साथ गति को मिलाकर, नियामक प्रणाली को भी बारीकी से जोड़ा गया है।

सौजन्य से: pib.gov.in

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