Friday, 7 February 2020

स्वच्छ भारत मिशन की शानदार सफलता के बाद सरकार 2024 तक जल जीवन मिशन पूरा करने के लिए प्रतिबद्धः श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

श्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि भूमिगत दूषित जल लोगों की स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय

गांव स्तर पर जेजेएम समितियों में महिलाओं को प्राथमिकताः सचिव, डीडब्ल्यूएस

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि सरकार वर्ष 2024 तक देश के सभी घरों में पाईप से पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। आज नई दिल्ली में ‘गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री शेखावत ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के अनुरूप इस कार्यक्रम को मिशन मोड में लागू किया जा रहा है।

श्री शेखावत ने कहा कि आजादी के 73 वर्षों के बाद भी केवल 18.33 प्रतिशत ग्रामीण घरों (देश के कुल 18 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.27 करोड़) में पाईप द्वारा पेयजल आपूर्ति की सुविधा उपलब्ध है। पानी के गुणवत्ता मानकों के संदर्भ में भारत दुनिया में 120वें स्थान पर है।

स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की सफलता की सराहना करते हुए श्री शेखावत ने कहा कि डब्ल्यूएचओ समेत अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने इसकी प्रशंसा की है। पेयजल और स्वच्छता विभाग, प्रत्येक घर में शौचालय की सुविधा से कोई छूट न जाए- के लिए कार्य कर रहा है।

श्री शेखावत ने कहा कि एसबीएम कार्यक्रम में विशाल धनराशि के निवेश के परिणामस्वरूप प्रत्येक परिवार को 50,000 रुपये की सालाना बचत हुई। इसका कारण चिकित्सा खर्चों में कमी आना है। इसी के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सरकारी व्यय में कमी आई है। इसके अलावा फसलों, दुधारू पशुओं और पॉल्ट्री के स्वास्थ्य पर भी अप्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

श्री शेखावत ने कहा कि जेजेएम कार्यक्रम के तहत 52,000 निवास स्थानों में सुरक्षित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना एक चुनौती होगी।

अपने संबोधन में केन्द्रीय जल शक्ति एवं सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि भू-जल के अत्याधिक उपयोग और औद्योगिक प्रदूषण के कारण भूमिगत जल खतरनाक रसायनों जैसे फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट, पारा, सीसा आदि से दूषित हो गए हैं और यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।

इस अवसर पर डीडब्ल्यूएस के सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने कहा कि गांव स्तर पर जल एवं स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी)/पानी समितियों में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। ये समितियां पेयजल आपूर्ति की रख-रखाव, संचालन और प्रबंधन करेंगी।

जेजेएम क्रियान्वयन के लिए संचालन दिशा-निर्देश के अनुसार इन समितियों में 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होंगी। शेष 50 प्रतिशत सदस्यों में पंचायत के निर्वाचित सदस्यों और एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों को शामिल किया जाएगा।

जेजेएम का लक्ष्य प्रत्येक घर में पाईप के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति करना है और पानी की उपलब्धता की दर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन निर्धारित की गई है।

भारत सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की पुनर्संरचना की है और इसे जेजेएम में शामिल कर दिया है। इसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक प्रत्येक घर में पाईप द्वारा पेयजल- ‘हर घर नल से जल’ उपलब्ध कराना है।

केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 13 अगस्त, 2019 को मंजूर किए गए जेजेएम कार्यक्रम की कुल अनुमानित परियोजना लागत 3.60 लाख करोड़ है। इसमें केन्द्र सरकार का हिस्सा 2.08 लाख करोड़ रुपये है। हिमालय और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में धनराशि अन्य राज्यों के लिए 50:50 के अनुपात में तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए 100 प्रतिशत उपलब्ध कराई जाएगी।

सौजन्य से: pib.gov.in

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