15वें वित्त आयोग के चेयरमैन श्री एन.के. सिंह की अध्यक्षता में आयोग के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने आज राजस्थान के पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की।
आयोग को जानकारी दी गई कि संविधान के 11वीं अनुसूची में वर्णित 29 कार्यों में से 23 का कार्यभार पीआरआई को हस्तांतरित हो चुका है।
राजस्थान में कुल 10,220 पीआरआई है। इनमें से 9892 ग्राम पंचायत, 295 पंचायत समिति और 33 जिला परिषद है।
14वें वित्त आयोग ने 2016-20 के लिए राजस्थान को मूल अनुदान के रूप में 12270 (कुल अनुदान का 6.8 प्रतिशत) करोड़ रुपये तथा प्रदर्शन अनुदान के रूप में 1363 करोड़ रुपये (कुल अनुदान का 6.8 प्रतिशत) हस्तांतरित करने की अनुशंसा की थी।
आयोग ने पीआरआई के अंकेक्षण से संबंधित निम्न मुद्दों पर अपनी चिंता व्यक्त की-
पंचायती राज संस्थानों की उत्तरदायित्व व्यवस्था और वित्तीय रिपोर्ट देने का कार्य कमजोर रहा है।
कुल 10219 पीआरआई में से केवल 6802 (66.5 प्रतिशत) के वित्तीय विवरण को स्थानीय कोष ऑडिट विभाग के द्वारा प्रमाणित किया गया है।
कुल पीआरआई में 20 प्रतिशत ने अपना वार्षिक वित्तीय विवरण प्रियासॉफ्ट के साथ बंद कर दिया है।
बिना कोष और कार्यबल के कार्यों का हस्तांतरण किया गया है। कुल 23 हस्तांतरित कार्यों में से केवल 15 में कोष और कार्य बल का हस्तांतरण हुए है।
कोष का उपयोग नहीं – मार्च, 2018 तक जिला पंचायत और पंचायत समिति के क्रमशः 1872.01 करोड़ रुपये तथा 1449.78 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं हो पाया।
राज्य में पीआरआई के लिए आदर्श वित्तीय विवरण प्रणाली (एमएएस) लागू की गई है। लेकिन मात्र कुछ पीआरआई ही इस प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं।
बीकानेर, कोटा, दौसा, जयपुर के जिला परिषदों के प्रतिनिधि, करौली, अलवर, अजमेर की पंचायत समितियों के प्रतिनिधि तथा अजमेर, सीकर व टोंक के ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि वित्त आयोग के साथ चर्चा के दौरान उपस्थित थे।
आयोग ने पीआरआई के सुझावों पर विचार किया और कहा कि इस संबंध में आयोग केन्द्र सरकार को अनुशंसा प्रदान करेगा।
सौजन्य से: pib.gov.in
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