Thursday 26 November 2015

Text of Prime Minister’s statement to Media outside Parliament ahead of the Winter Session of 2015

नमस्‍ते साथियों! 26 नवम्‍बर, 1949, आज ही के दिन भारत के संविधान को स्‍वीकृति दी गई थी। भारत सरकार ने इसे संविधान दिवस के रूप में हर वर्ष मनाने का निर्णय किया है। देश भर में संविधान के प्रति जागरूकता बढ़े, विद्यार्थियों में भी संविधान के Preamble का पाठ हो और एक सहज अपने स्‍वभाव का हिस्‍सा बने धीरे-धीरे, यह हमारा प्रयास है। यह भी सौभाग्‍य है कि संविधान निर्माण में जिस महापुरुष की अहम भूमिका रही वो बाबा साहेब आम्‍बेडकर की 125वीं जयंती का यह वर्ष है और इसलिए संयोग भी बहुत ही प्रेरक है और इसी निमित्‍त आपने देखा होगा, यह संसद भवन का परिसर बहुत ही चमक रहा है इन दिनों और मुझे विश्‍वास है कि सत्र के दरमियान भी उत्‍तम विचारों से, उत्‍तम चर्चा से, उत्‍तम नए-नए innovative ideas से भीतर सदन भी उतना ही चमकता रहेगा। 

कल मेरी सभी दलों के महानुभावों के साथ मुलाकात हुई। बहुत अच्‍छी बातें हुईं, अच्‍छे वातावरण में बातें हुईं और सबका एक स्‍वर से मत रहा था कि सदन उत्‍तम तरीके से चलाया जाए। सदन से बड़ा कोई संवाद का केन्‍द्र नहीं हो सकता है। वाद हो, विवाद हो, संवाद हो यही संसद की आत्‍मा है। बाकी कामों के लिए तो पूरे देश का मैदान available है और मुझे खुशी हुई कि सभी दलों ने वाद-विवाद और संवाद के लिए सकारात्‍मक दृष्‍टिकोण प्रस्‍तुत किया है और मुझे आशा है कि देश संसद के पास जो अपेक्षा कर रहा है, हम सभी सांसद मिलकर के उन अपेक्षाओं को पूर्ण करने में कोई कमी नहीं रखेंगे। 

आज 26 नवम्‍बर, संविधान का दिवस है। हमारा संविधान It’s a ray of hope, एक आशा की किरण है, पथ दर्शक है। हमारे मार्ग को लगातार प्रकाशित करता रहता है और जब मैं hope कहता हूं तो hope का मेरा मतलब है, H for Harmony, O for Opportunity, P for People’s participation, E for Equality. बहुत-बहुत धन्‍यवाद दोस्‍तों। 


Courtesy: pib.nic.in

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