Sunday, 22 September 2013

राष्ट्रपति ने साम्प्रदायिक हिंसा को विक्षिप्तता बताया

                    श्री प्रणब मुखर्जी ने शांति एवं भाइचारा फैलाने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया 

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने धर्मों के बीच और साम्प्रदायिक हिंसा को विक्षिप्तता बताया है। उन्होंने इस पर दुख प्रकट करते हुए शांति, भाइचारे और अहिंसा के प्रसार के लिए सामूहिक प्रयास करने का आह्वान किया है। 

श्री प्रणब मुखर्जी ने आज अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस (21 सितंबर, 2013) के अवसर पर अखिल भारतीय अहिंसा परमो धर्म जागरूकता अभियान के शुभारंभ के दौरान राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में विभिन्न धर्मों के नेताओं को संबोधित किया। 

राष्ट्रपति ने कहा कि अखिल भारत अखिल आस्था अभियान का उद्देश्य हिंसा मुक्त समाज बनाना है। उन्होंने कहा कि अहिंसा और शांति हमारी सभ्यता की प्राथमिक शिक्षा है। कोई धर्म हिंसा नहीं सिखाता। प्रत्येक धर्म प्रेम, करुणा और सेवा की शिक्षा देता है। श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की सभ्यता पांच हजार वर्ष पुरानी है जहां भगवान बुद्ध और भगवान महावीर ने अहिंसा के उपदेश दिए। भारत हमेशा सभी आस्था, विश्वास, धर्मों और रीति-रिवाजों को मानता आया है। 

इस अवसर पर ब्रह्म कुमारी की 97 वर्ष की दादी जानकी, भारतीय बहाई समुदाय के राष्ट्रीय न्यासी डॉ. ए. के. मर्चेन्ट, फादर डोमिनिक इमानुएल, दिल्ली कैथोलिक आर्कडियोसी के निदेशक फादर डोमिनिक इमानुएल, जमायते इस्लामी हिंद के सचिव इजाज अहमद असलम, भारतीय महाबोधि सोसायटी के वेन आर सुमितानंदा जैसे सभी धर्मो के नेता उपस्थित थे। 


सौजन्यः पत्र सूचना कार्यालय

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