Saturday 16 July 2016

Excerpts of the PM's inaugural address in eleventh Inter-State Council Meeting at New Delhi

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री गण व उप-राज्यपाल और कैबिनेट के मेरे सहयोगी, 

इंटर स्टेट काउंसिल की इस अहम बैठक में सम्मिलित होने के लिए आप सभी का मैं एक बार फिर स्वागत करता हूं। 

ऐसे मौके कम ही आते हैं जब केंद्र और राज्यों का नेतृत्व एक साथ एक जगह पर मौजूद हो। आम जनता के हितों पर बात करने के लिए, उनकी मुश्किलों के निपटारे के लिए, एक साथ मिलकर ठोस फैसला लेने के लिए Cooperative Federalism का यह मंच, बेहतरीन उदाहरण है। यह हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि को भी दर्शाता है। 

मैं, करीब 16 साल पहले इसी मंच से कही गई पूर्व प्रधानमंत्री और हमारे श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की बात से शुरु करूंगा, वाजपेयी जी ने कहा था कि- 

“भारत जैसे बड़े और विविधता से भरे हुए लोकतंत्र में Debate यानि वाद-विवाद, Deliberation यानि विवेचना और Discussion यानि विचार-विमर्श से ही ऐसी नीतियां बन सकती हैं जो जमीनी सच्चाई का ध्यान रखती हों। ये तीनों बातें, नीतियों को प्रभावी तरीके से अमल में लाने में भी मदद करती हैं। इंटर स्टेट काउंसिल एक ऐसा मंच है जिसका इस्तेमाल नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने में किया जा सकता है। इसलिए लोकतंत्र, समाज और हमारी राज्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए, इस मंच का प्रभावी उपयोग किया जाना चाहिए” । 

निश्चित तौर पर इंटर स्टेट काउंसिल, Centre-State और Inter-State Relations को मजबूत करने का सबसे बड़ा मंच है। हालांकि 2006 के बाद लंबे अंतराल तक ये बैठक नहीं हो पाई, लेकिन मुझे खुशी है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का प्रयास किया। पिछले एक साल में वे देश भर की पाँच आंचलिक परिषदों की बैठक बुला चुके हैं। इस दौरान संवाद और संपर्क का सिलसिला बढ़ने का ही नतीजा है कि आज हम सभी यहां इकट्ठा हुए हैं। 

देश का विकास तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारें कंधे से कंधा मिलाकर चलें। किसी भी सरकार के लिए मुश्किल होगा कि वो सिर्फ अपने दम पर कोई योजना को कामयाब कर सके। इसलिए जिम्मेदारियों के साथ ही वित्तीय संसाधनों की भी अपनी अहमियत है। 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं की स्वीकृति के साथ केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दी गई है। यानि अब राज्यों के पास ज्यादा राशि आ रही है जिसका उपयोग वो अपनी जरूरत के हिसाब से कर रहे हैं। मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि पिछले वर्ष 2015-16 में राज्यों को केंद्र से जो रकम मिली है, वो वर्ष 2014-15 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह पंचायतों और स्थानीय निकायों को 14वें वित्त आयोग की अवधि में 2 लाख 87 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी जो पिछली बार से काफी अधिक है। 

प्राकृतिक संसाधनों से होने वाली कमाई में भी राज्यों के अधिकारों का ध्यान रखा जा रहा है। कोयला खदानों की नीलामी से राज्यों को आने वाले सालों में 3 लाख 35 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी। कोयले के अलावा भी दूसरे खनन से राज्यों को 18 हजार करोड़ रुपए की रकम मिलेगी। इसी तरह CAMPA कानून में बदलाव के जरिए बैंक में रखे हुए करीब 40 हजार करोड़ रुपए को भी राज्यों को देने का प्रयास किया जा रहा है। 

सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ने की वजह से जो रकम बच रही है, उसे भी केंद्र सरकार आपके साथ साझा करना चाहती है। एक उदाहरण केरोसिन का ही है। गावों में बिजली कनेक्शन बढ़ रहे हैं। आने वाले तीन साल में सरकार 5 करोड़ नए गैस कनेक्शन देने जा रही है। LPG की सप्लाई भी और बढ़ेगी। इन प्रयासों का सीधा असर केरोसिन की खपत पर पड़ा है। हाल ही में चंडीगढ़ प्रशासन ने अपने शहर को केरोसिन फ्री क्षेत्र घोषित किया है। अब केंद्र सरकार ने एक योजना शुरू की है जिसके तहत केरोसिन की खपत में कमी करने पर, केंद्र सब्सिडी के तौर पर जो पैसा खर्च करता था, उसका 75 प्रतिशत राज्यों को अनुदान के तौर पर देगा। कर्नाटक सरकार ने इस पहल पर तेजी दिखाते हुए अपना प्रस्ताव पेट्रोलियम मंत्रालय को भेज दिया था, जिसे स्वीकार करने के बाद राज्य सरकार को अनुदान का भुगतान कर दिया गया है। अगर सभी राज्य केरोसिन की खपत को 25 फीसदी कम करने का फैसला लेते हैं और इस पर अमल करके दिखाते हैं, तो इस साल उन्हें करीब 1600 करोड़ रुपए के अनुदान का लाभ मिल सकता है। 

इंटर स्टेट काउंसिल Centre-State Relations के साथ ही उन विषयों पर भी चर्चा का मंच है जो देश की बड़ी आबादी से जुड़े हुए हैं। कैसे नीति-निर्धारण के स्तर पर इन मुद्दों को सुलझाने के लिए एक राय बनाई जा सकती है, कैसे एक दूसरे से परस्पर जुड़े विषयों को सुलझाया जा सकता है। 

इसलिए इस बार इंटर स्टेट काउंसिल में पुंछी कमीशन की रिपोर्ट के साथ ही तीन और अहम विषयों को एजेंडे में रखा गया है। 

पहला है- ‘आधार’ । संसद से ‘आधार’ एक्ट 2016 पास हो चुका है। इस एक्ट के पास होने के बाद अब हमें चाहे सब्सिडी हो या फिर तमाम दूसरी सुविधाएं, ‘डायरेक्ट कैश ट्रांसफर’ के लिए आधार के प्रयोग की सुविधा मिल गई है। 128 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में अब तक 102 करोड़ लोगों को आधार कार्ड बांटे जा चुके हैं। यानि अब देश की 79 प्रतिशत जनसंख्या के पास आधार कार्ड है। अगर वयस्कों की बात करें तो देश के 96 प्रतिशत नागरिकों के पास आधार कार्ड है। आप सभी के समर्थन से इस साल के अंत तक हम देश के हर नागरिक को आधार कार्ड से जोड़ लेंगे। 

आज की तारीख में साधारण सा आधार कार्ड, लोगों के सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। सरकारी मदद या सब्सिडी पर जिस व्यक्ति का अधिकार है, अब उसे ही इसका फायदा मिल रहा है, पैसा सीधे उसी के खाते में जा रहा है। इससे पारदर्शिता तो आई ही है, हजारों करोड़ रुपए की बचत हो रही है जिसे विकास के काम पर खर्च किया जा रहा है। 

मित्रों, बाबा साहेब अम्बेडकर ने लिखा था कि- “भारत जैसे देश में सामाजिक सुधार का मार्ग उतना ही मुश्किल है, उतनी ही अड़चनों से भरा हुआ है जितना स्वर्ग जाने का मार्ग। जब आप सामाजिक सुधार की सोचते हैं तो आपको दोस्त कम, आलोचक ज्यादा मिलते हैं” । 

आज भी उनकी लिखी बातें, उतनी ही प्रासंगिक है। इसलिए आलोचनाओं से बचते हुए, हमें एक दूसरे के साथ सहयोग करते हुए, सामाजिक सुधार की योजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर देना होगा। इनमें से बहुत सी योजनाओं की रूप-रेखा, नीति आयोग में मुख्यमंत्रियों के ही सब-ग्रुप ने तैयार की है। 

इंटर स्टेट काउंसिल में जिस एक और अहम विषय पर चर्चा होनी है, वह है शिक्षा । भारत की सबसे बड़ी ताकत हमारे नौजवान ही हैं। 30 करोड़ से ज्यादा बच्चे अभी स्कूल जाने वाली उम्र में हैं। इसलिए हमारे देश में आने वाले कई सालों तक दुनिया को Skilled Manpower देने की क्षमता है। केंद्र और राज्यों को मिलकर बच्चों को शिक्षा का ऐसा माहौल देना होगा जिसमें वे आज की जरूरत के हिसाब से खुद को तैयार कर सकें, अपने हुनर का विकास कर सकें। 

पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के शब्दों में कहें तो- शिक्षा एक निवेश है। हम पेड़-पौधों को लगाते समय उनसे कोई फीस नहीं लेते। हमें पता होता है कि यही पेड़-पौधे आगे जाकर हमें ऑक्सीजन देंगे, पर्यावरण की मदद करेंगे। उसी तरह शिक्षा भी एक निवेश है जिसका लाभ समाज को होता है। 

पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी ने ये बातें 1965 में कहीं थीं। तब से लेकर आज तक हम शिक्षा की दृष्टि से बहुत लंबा सफर तय कर चुके हैं। लेकिन अब भी शिक्षा के स्तर को लेकर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। हमारी शिक्षा व्यवस्था से बच्चे वास्तव में कितना शिक्षित हो रहे हैं, इसे भी हमें अपनी चर्चा में लाना होगा। 

इसलिए बच्चों में शिक्षा का स्तर सुधारने का सबसे बड़ा तरीका है कि उन्हें शिक्षा का उद्देश्य भी समझाया जाए। सिर्फ स्कूल जाना ही पढ़ाई नहीं है। पढ़ाई ऐसी होनी चाहिए, जो बच्चों को सवाल पूछना सिखाए, उन्हें ज्ञान हासिल करना और ज्ञान बढ़ाना सिखाए, जो जीवन के हर मोड़ पर उन्हें कुछ ना कुछ सीखते रहने के लिए प्रेरित करे। 

स्वामी विवेकानंद भी कहते थे कि शिक्षा का अर्थ सिर्फ किताबी ज्ञान पाना नहीं है। शिक्षा का मकसद है चरित्र का निर्माण, शिक्षा का मतलब है मस्तिष्क को मजबूत करना, अपनी बौद्धिक शक्ति को बढ़ाना, ताकि खुद के पैरों पर खड़ा हुआ जा सके। 

21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में, जिस तरह की कुशलता और योग्यता की आवश्यकता है, उसमें हम सभी का दायित्व है कि नौजवानों के पास कोई न कोई Skill जरूर हो। हमें नौजवानों को ऐसा बनाना होगा कि वे Logic के साथ सोचें, Out of the box सोचें और अपने काम में Creative दिखें। 

आज के एजेंडा में जिस एक और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा होनी है, वह है आंतरिक सुरक्षा। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किस तरह की चुनौतियां हैं, इन चुनौतियों से कैसे निपट सकते हैं, कैसे एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं, इस पर चर्चा होनी है। देश की आंतरिक सुरक्षा को तब तक मजबूत नहीं किया जा सकता, जब तक Intelligence Sharing पर फोकस ना हो, एजेंसियों में अधिक तालमेल ना हो, हमारी पुलिस आधुनिक सोच और तकनीक से लैस ना हो। हमने इस मोर्चे पर काफी लंबा रास्ता तय किया है लेकिन हमें लगातार अपनी कार्य-कुशलता और क्षमता को बढ़ाते चलना है। हमें हर समय Alert और Updated रहना है। 

इंटर स्टेट काउंसिल की बैठक बहुत ही खुले हुए माहौल में, बहुत ही स्पष्ट होकर एक दूसरे के विचार सुनने और साझा करने का मौका देती है। मुझे उम्मीद है कि आप एजेंडा के सभी विषयों पर खुलकर अपनी राय देंगे, अपने सुझाव देंगे। आपके सुझाव बहुत मूल्यवान होंगे। 

जितना ही हम इन अहम विषयों पर एक राय बनाने में कामयाब होंगे, उतना ही मुश्किलों को पार करना आसान होगा। इस प्रक्रिया में हम न सिर्फ Cooperative Federalism की spirit और केंद्र-राज्य रिश्तों को मजबूत करेंगे बल्कि देश के नागरिकों के बेहतर भविष्य को भी सुनिश्चित करेंगे। 


Courtesy: pib.nic.in

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